योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर COVID-19 रोगियों को एड-ऑन दवाएं लेने की सलाह दे सकते हैं: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर COVID-19 रोगियों को एड-ऑन दवाएं (प्रतिरक्षा बूस्टर) लेने की सलाह दे सकते हैं। कोर्ट ने कहा है कि भारत सरकार ने आयुष मंत्रालय की सिफारिशों में COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए होम्योपैथी पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
होम्योपैथिक चिकित्सक जयप्रसाद ने एडवोकेट वीटी माधवनुन्नी और एडवोकेट एमएस विनीत के माध्यम से परमादेश के लिए याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने जोर देकर कहा कि केरल राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने उनके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई करने की धमकी दी है यदि वह COVID-19 रोगियों का इलाज करते हैं, जो कथित तौर पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (जी) का उल्लंघन है।
पृष्ठभूमि
राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों को लागू करते हुए एक राज्य चिकित्सा प्रोटोकॉल जारी किया, जिसमें निर्देश दिया गया कि COVID -19 रोगियों का इलाज केवल सरकार और सरकार द्वारा अधिकृत लोगों द्वारा किया जा सकता है।
याचिका में कहा गया है कि आयुष मंत्रालय द्वारा सुझाए गए प्रतिरक्षा बूस्टर मिश्रण या गोलियों को निर्धारित करने के लिए योग्य चिकित्सा आयुष चिकित्सकों को प्रतिबंधित करने के लिए कुछ भी नहीं हैं, जिसमें होम्योपैथी चिकित्सक भी शामिल हैं।
आयुष मंत्रालय ने 6 मार्च 2020 को एक सर्कुलर जारी कर COVID-19 जैसी बीमारियों के लक्षण प्रबंधन और बचाव उपायों के लिए कुछ दवाओं के उपयोग को अधिकृत किया था। इसने होम्योपैथी दवाओं को पारंपरिक देखभाल में एड-ऑन के रूप में दिए जाने के लिए भी अधिकृत किया।
केरल सरकार इस परामर्श और प्रस्तावित कार्य योजना को 8 अप्रैल 2020 को एक सरकारी आदेश के माध्यम से अनुमोदित किया गया था। हालाकि, इसके लिए होम्योपैथिक रणनीतियों को 21 अप्रैल 2020 के एक अन्य सरकारी आदेश के माध्यम से अनुमोदित किया गया, जिसमें Covid-19 रोगियों को इसके दायरे से बाहर रखा गया।
कोर्ट का अवलोकन
कोर्ट ने शुरुआत में कहा कि होम्योपैथिक चिकित्सक होम्योपैथिक दवाओं से COVID-19 रोगियों का किस हद तक इलाज कर सकते हैं। न्यायमूर्ति एन नागरेश ने एलोपैथिक चिकित्सकों के पक्ष में फैसला सुनाया कि एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक COVID-19 से बचाव के लिए होम्योपैथिक दवाएं दे सकता है।
कोर्ट ने कहा कि उन्हें संबंधित अधिकारियों के अनुमोदन और रोगी/अभिभावक की सहमति से दिशानिर्देशों द्वारा अधिकृत एड-ऑन दवाएं लिखने की अनुमति है। यह याचिकाकर्ता द्वारा इस बात पर प्रकाश डालने के बाद आया कि सर्वोच्च न्यायालय ने COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए होम्योपैथिक चिकित्सकों के अधिकार को बरकरार रखा है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि होम्योपैथिक चिकित्सकों द्वारा विज्ञापन होम्योपैथिक चिकित्सक (पेशेवर आचरण, शिष्टाचार और आचार संहिता) विनियम, 1982 के तहत होम्योपैथिक केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 की धारा 33 और 24 के तहत निषिद्ध है।
'भारत में होम्योपैथी प्रणाली वैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त है'
याचिका में तर्क दिया गया कि कैसे होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल एक्ट, 1973 भारत में होम्योपैथी की प्रणाली को मान्यता देता है और धारा 26 पंजीकृत पेशेवरों को देश के किसी भी हिस्से में होम्योपैथी का प्रैक्टिस करने के लिए अधिकृत करती है।
राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग अधिनियम, 2020 की धारा 58 ने केंद्र को 1973 के अधिनियम को निरस्त करने की अनुमति दी और धारा 34 में प्रावधान है कि जिस व्यक्ति का नाम राज्य रजिस्टर या केंद्रीय रजिस्टर में दर्ज है, उसे होम्योपैथी का पैक्टिस करने का अधिकार है। इस प्रकार ये चिकित्सक परामर्श में निर्धारित दवाओं को वितरित करने के लिए योग्य हैं।
समान याचिकाएं
इसी तरह की एक याचिका डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 9459/2020 अधिवक्ता एमएस विनीत द्वारा दायर की गई थी जिसमें मांग की गई कि होम्योपैथिक चिकित्सकों को आयुष मंत्रालय के सर्कुलर के अनुसार तुरंत प्रैक्टिस करने की अनुमति दी जाए। इस न्यायालय की एक खंडपीठ ने कहा था कि राज्य चिकित्सा प्रोटोकॉल के अनुसार अनिवार्य रूप से COVID-19 रोगियों का इलाज केवल सरकार और सरकार द्वारा अधिकृत लोगों द्वारा किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा था कि इस प्रोटोकॉल के अनुसार आयुष दवाओं का प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर COVID-19 के इलाज के लिए कोई दवा नहीं लिख सकते, लेकिन आयुष मंत्रालय द्वारा सुझाव के अनुसार योग्य चिकित्सक प्रतिरक्षा बूस्टर मिश्रण या टैबलेट लिख सकते हैं।
डॉ. एकेबी सद्भावना मिशन स्कूल ऑफ होमियो फार्मेसी ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने सर्कुलर का विश्लेषण किया और कहा कि आयुष मंत्रालय का इरादा चिकित्सा चिकित्सकों को होम्योपैथिक दवाओं को केवल प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में निर्धारित करने के लिए बाध्य करना नहीं है।
केरल उच्च न्यायालय के निर्णय को संशोधित करते हुए कहा गया था कि COVID-19 रोगियों का इलाज करते समय होम्योपैथिक चिकित्सकों के लिए जो अनुमेय है, वह पहले से ही सलाह और दिशानिर्देशों द्वारा विनियमित है। तीन जजों की बेंच ने फैसला सुनाया था कि होम्योपैथी में इलाज का कोई दावा नहीं किया जा सकता है और इसका उपयोग आयुष मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार COVID-19 के इलाज में कर सकते हैं।