प्राकृतिक न्याय: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पुनर्मूल्यांकन आदेश को खारिज किया कहा, कारण का जवाब देने के लिए समय दिया जाना चाहिए

Update: 2022-06-04 06:37 GMT

Punjab & Haryana High Court

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माना कि जब निर्धारिती (Assessee) को मसौदा मूल्यांकन आदेश/कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है तो नोटिस का जवाब देने के लिए उचित समय दिया जाना चाहिए, ताकि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया जा सके।

जस्टिस तेजिंदर सिंह ढींडसा और जस्टिस पंकज जैन की पीठ ने अगले ही दिन आयकर अधिनियम 1961 की धारा 144-बी सपठित धारा 147 के तहत प्रतिवादी अधिकारियों द्वारा पारित पुनर्मूल्यांकन आदेश को रद्द कर दिया।

गौरतलब है कि ड्राफ्ट असेसमेंट ऑर्डर/कारण बताओ नोटिस 30 मार्च को रात 8 बजे जारी किया गया था। निर्धारिती को उसी तारीख को यानी 30 मार्च, 11.59 बजे तक जवाब देने के लिए कहा गया। इसके अलावा, अंतिम आदेश अगले दिन यानी 31 मार्च को पारित किया गया।

हालांकि न्यायालय ने प्रतिवादियों को इस मामले में नए सिरे से आगे बढ़ने के लिए स्वतंत्रता प्रदान की कि वे पुनर्मूल्यांकन आदेश को नए सिरे से तैयार करने के संबंध में मसौदा मूल्यांकन आदेश/कारण बताओ नोटिस जारी करने के चरण से और रिपोर्टिंग के बाद चार महीने की अवधि के भीतर कार्यवाही समाप्त करने के लिए स्वतंत्र हैं।

कोर्ट ने आगे कहा कि निर्धारिती को मसौदा मूल्यांकन आदेश/कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए उचित समय दिया जाना चाहिए ताकि निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया के अनुरूप प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया जा सके।

यह कहना गलत नहीं होगा कि निर्धारिती को मसौदा मूल्यांकन आदेश/कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए उचित समय दिया जाना चाहिए ताकि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया जा सके। यह निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया के अनुरूप भी होगा।

वर्तमान मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आलोक में पक्षों की प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि आक्षेपित पुनर्मूल्यांकन आदेश को इस आधार पर रद्द कर दिया गया कि निर्धारिती को मसौदा मूल्यांकन का जवाब देने के लिए उचित अवसर नहीं दिया गया था।

केस टाइटल: मुकेश मित्तल बनाम नेशनल फेसलेस असेसमेंट सेंटर और अन्य

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