पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री चन्नी को राहत दी, निचली अदालत से चुनाव आचार संहिता उल्लंघन मामले में कार्यवाही स्थगित करने को कहा

Update: 2023-01-09 08:50 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को ट्रायल कोर्ट को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी के खिलाफ कार्यवाही स्थगित करने का निर्देश दिया, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों के दौरान गायक सिद्धू मूसेवाला के साथ 20 फरवरी के बाद की तारीख तक तय समय-सीमा से परे प्रचार किया।

मूसेवाला की पिछले साल मई में हत्या कर दी गई थी। मूसेवाला मनसा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार थे। चन्नी को निचली अदालत में 12 जनवरी को पेश होने के लिए समन मिला।

जस्टिस राज मोहन सिंह ने चन्नी को राहत देते हुए याचिका पर सुनवाई 20 फरवरी के लिए स्थगित कर दी। यह आदेश चन्नी की उस याचिका पर पारित किया गया, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने और याचिका के लंबित रहने के दौरान कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

एफआईआर के अनुसार, चन्नी मूसेवाला के साथ मनसा में शाम 6 बजे के बाद भी प्रचार कर रहे थे, जो प्रचार गतिविधियों को रोकने के लिए निर्धारित समय सीमा थी। वे कथित तौर पर करीब 400-500 पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ घर-घर जा रहे थे।

एफआईआर में आगे कहा गया कि चुनाव पर्यवेक्षक, मनसा को आम आदमी उम्मीदवार डॉ. विजय सिंगला से शिकायत मिली, जिसे बाद में विजेता घोषित किया गया, जिस पर जिला निर्वाचन अधिकारी-सह उपायुक्त, मनसा को कानूनी कार्यवाही करने के लिए शिकायत की गई। तत्पश्चात जिला निर्वाचन अधिकारी सह उपायुक्त मनसा ने वर्तमान एफआईआर दर्ज कराने के लिए थानाध्यक्ष को शिकायत की।

तदनुसार, उपायुक्त, मनसा द्वारा पारित सीआरपीसी की धारा 144 के आदेशों के उल्लंघन के लिए आईपीसी की धारा 188 के तहत एफआईआर दर्ज की गई।

याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि जांच के बाद पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 173 (2) के तहत अंतिम रिपोर्ट दायर की, जिसके बाद उसे ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश होने के लिए कई नोटिस जारी किए गए। दिनांक 18.11.2022 के आदेश द्वारा याचिकाकर्ता को नया समन जारी किया गया, जिसमें 12.01.2023 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होने की मांग की गई।

यह तर्क दिया गया,

इसे "कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग" कहते हुए याचिकाकर्ता के वकीलों ने तर्क दिया कि आईपीसी की धारा 188 के तहत एक अपराध के लिए सीजेएम, मानसा उपायुक्त, मनसा द्वारा की गई शिकायत के अलावा संज्ञान नहीं ले सकते, जिन्होंने सीआरपीसी की धारा 144 के तहत आदेश दिनांक 14.02.2022 को जारी किया। तदनुसार, सीजेएम, मानसा द्वारा सीआरपीसी की धारा 173(2) के तहत अंतिम रिपोर्ट के आधार पर लिया गया संज्ञान सीआरपीसी की धारा 195 के तहत विशेष रूप से वर्जित है।

याचिकाकर्ता द्वारा सी. मुनियप्पन और अन्य बनाम तमिलनाडु राज्य, (2010) 9 एससीसी 567, दौलत राम बनाम पंजाब राज्य, एआईआर 1962 एससी 1206 और सलोनी अरोड़ा बनाम राज्य (एनसीटी दिल्ली का), (2017) 3 एससीसी 286, अन्य बातों के साथ में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर भरोसा किया गया।

एडवोकेट निखिल घई, पारस तलवार, दीपांशु मेहता और अमनप्रीत सिंह पन्नू के माध्यम से दायर मामले में याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व सीनियर एवोकेट बिपन घई ने किया।

केस टाइटल: चरणजीत सिंह @ चन्नी बनाम पंजाब राज्य

साइटेशन: सीआरएम-एम-453-2023

कोरम: जस्टिस राज मोहन सिंह

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