पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अवैध रूप से प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट करने के आरोपी आयुर्वेद स्त्री रोग विषेशज्ञ को अंतरिम अग्रिम जमानत दी
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आयुर्वेद स्त्री रोग विषेशज्ञ को अग्रिम जमानत याचिका में अंतरिम जमानत दे दी है, जिस पर बिना अनुमति के प्रेग्नेंसी को टर्मिनेंट करने का आरोप है।
जस्टिस पंकज जैन की पीठ ने गिरफ्तारी से पहले जमानत की मांग करने वाली उनकी याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा,
“इस बीच गिरफ्तारी की स्थिति में याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करने वाले अधिकारी/जांच अधिकारी की संतुष्टि के लिए व्यक्तिगत और ज़मानत बांड प्रस्तुत करने के अधीन अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा।
पिछले महीने पुलिस स्टेशन पूंडरी, जिला कैथल में एमटीपी एक्ट की धारा 3, 4, 5 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 की धारा 120-बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई। अभियोजन पक्ष के अनुसार गुप्त सूचना मिली कि कैथल के अस्पताल में डॉक्टर अवैध रूप से बच्चे का गर्भपात कर रहा है। इसके बाद कैथल के सिविल सर्जन की अध्यक्षता में टीम का गठन किया गया। अस्पताल पर छापा मारने पर कथित तौर पर पता चला कि बच्चे का गर्भपात इसलिए कर दिया गया, क्योंकि उसके सिर में पानी था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आयुर्वेद डॉक्टर ने दंपत्ति को 'उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था' के कारण बच्चे को गर्भपात कराने का सुझाव दिया था।
आरोपी का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट बिपन घई ने कहा कि भ्रूण के साथ-साथ मां की स्थिति दिनांक 10.06.2023 की अल्ट्रा साउंड रिपोर्ट से स्पष्ट है।
घई ने कहा,
मां को नर्सिंग होम में लाया गया, जहां वह स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में काम कर रही हैं- योग्य आयुर्वेद धनवंतरी (एम.एस.-आयुर्वेद) प्रसूति तंत्र और स्त्रीरोग डिग्री धारक हैं।
सीनियर वकील ने तर्क दिया कि मां के साथ-साथ भ्रूण की स्थिति का पूरी तरह से दस्तावेजीकरण किया गया। इस प्रकार, यह ऐसा मामला नहीं होगा, जिसमें गर्भावस्था को अवैध रूप से टर्मिनेट किया गया हो।
उन्होंने प्रस्तुत किया कि आयुष मंत्रालय ने 2017 में स्पष्टीकरण जारी किया, जिसमें "बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) डॉक्टर को प्रसव कराने और महिलाओं की प्रेग्नेंसी से संबंधित अन्य सभी जटिलताओं का प्रबंधन करने के लिए अधिकृत किया गया।"
घई ने तर्क दिया,
"इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि बच्चे का जन्म समय से पहले हुआ, यह बहस का मुद्दा होगा कि क्या यह समय से पहले प्रसव का मामला है या मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी का। यदि, यह समय से पहले प्रसव का मामला पाया जाता है तो वितरण, निश्चित रूप से याचिकाकर्ता भारत सरकार द्वारा जारी संचार का लाभ पाने का हकदार होगी।
उन्होंने यह भी कहा,
"पूरी प्रक्रिया का दस्तावेजीकरण किया गया और यह जांच एजेंसी के पास है।"
उन्होंने कहा,
''इस बात की कोई आशंका नहीं हो सकती कि याचिकाकर्ता इसमें छेड़छाड़ करेगी।''
डॉक्टर को अंतरिम जमानत देते हुए अदालत ने कहा,
“याचिकाकर्ता को जब भी बुलाया जाएगा, उन्हें जांच में शामिल होना होगा। वह सीआरपीसी की धारा 438(2) के तहत बताई गई शर्तों का पालन करेगी।
मामले को आगे विचार के लिए 26 सितंबर के लिए पोस्ट किया गया।
केस टाइटल: डॉ. महक बनाम हरियाणा राज्य
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट बिपन घई, एडवोकेट निखिल घई, ऋषभ सिंगला उपस्थित हुए।
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