स्वीकृति से अधिक खपत होने पर बिजली उपभोक्ता पेनल्टी/डिमांड सरचार्ज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्वीकृत भार से अधिक बिजली खपत मामले में बिजली उपभोक्ता को डिमांड सरचार्ज के रूप में जुर्माना देना होगा।
हाईकोर्ट ने इस प्रकार निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर अपील खारिज कर दी। इस फैसले में अनिवार्य निषेधाज्ञा दी गई थी और प्रतिवादियों को बकाया भुगतान के अधीन अपीलकर्ता के बिजली कनेक्शन को बंद करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था।
इस द्वितीय अपील में अपीलार्थी ने भुगतान की गई राशि की वापसी की मांग की।
जस्टिस अलका सरीन की पीठ ने कहा,
"चूंकि वादी-अपीलकर्ता स्वीकृत लोड से अधिक बिजली की खपत कर रहा था, इसलिए अनिवार्य निषेधाज्ञा जारी करके उसे कोई राशि वापस करने का कोई कारण नहीं है।"
पक्षकारों के प्रतिद्वंद्वी प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद अदालत ने कहा कि निचली अदालतों के निष्कर्षों के अनुसार, वादी-अपीलकर्ता ने 95 किलोवाट लोड के बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन किया था, लेकिन आवेदन के माध्यम से उन्होंने 21 किलोवाट लोड के बिजली कनेक्शन के लिए अनुरोध किया। उन्होंने अगले छह महीनों के भीतर शेष भार का निर्माण करने का भी बीड़ा उठाया।
इसके बाद जब बढ़ा हुआ भार स्वीकृत नहीं किया गया तब भी उपयोग अधिक है जिससे वह प्रतिवादी के निर्देशों के अनुसार 750/- रुपये प्रति किलोवाट के अधिभार का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।
कोर्ट ने आगे कहा कि वर्तमान मामले में कोई महत्वपूर्ण कानून का सवाल नहीं उठता है, इसलिए अदालतों द्वारा दर्ज किए गए तथ्यों के समवर्ती निष्कर्ष इस न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा।
कानून का कोई सवाल ही नहीं। मौजूदा मामले में कानून का कोई अहम सवाल नहीं उठता। दोनों निचली अदालतों ने तथ्य के समवर्ती निष्कर्षों को दर्ज किया है, जिसमें इस न्यायालय के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
उपरोक्त के मद्देनजर, अदालत ने निचली अदालतों द्वारा पारित निर्णयों और डिक्री में कोई अवैधता और दुर्बलता नहीं पाते हुए अपील खारिज कर दी।
केस टाइटल: कुलजस राय बनाम पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड सर्विस
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें