पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 23 साल पुराना मामला बंद किया; कहा- कुछ फ़ाइलें चोरी हो जाना या दीमकों द्वारा खा लिया जाना असामान्य नहीं
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में 22 साल पुरानी याचिका बंद कर दी, क्योंकि "सभी संभव प्रयासों" के बावजूद रिकॉर्ड का पता नहीं लगाया जा सका।
जस्टिस अनूप चितकारा ने कहा,
"फाइलों के ढेर को देखते हुए अगर कुछ फाइलें गुम हो जाती हैं, चोरी हो जाती हैं, दीमकों द्वारा खा ली जाती हैं, या दूसरों के साथ मिल जाती हैं तो यह असामान्य नहीं होगा। इसे देखते हुए इस अदालत के पास एकमात्र विकल्प यही है कि इस याचिका को बंद करें, किसी भी पक्ष को पुनर्निर्मित रिकॉर्ड रखकर आवेदन दायर करके इसे पुनर्जीवित करने की स्वतंत्रता सुरक्षित है।"
ये टिप्पणियां भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से संबंधित मामले में पंजाब राज्य द्वारा 2000 में दायर पुनर्विचार याचिका के जवाब में आईं। बताया गया कि आरोपी को 2012 में दोषी ठहराया गया और 2 साल की कैद की सजा सुनाई गई।
हालांकि, अदालत को सूचित किया गया कि तमाम कोशिशों के बावजूद मामले के रिकॉर्ड का पता नहीं लगाया जा सका।
दलीलों पर विचार करते हुए न्यायालय ने कहा,
"रिकॉर्ड के पुनर्निर्माण के लिए किए गए प्रयासों और उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए विस्तृत कार्यालय रिपोर्ट से पता चलता है कि सभी संभावित प्रयासों के बावजूद रिकॉर्ड पुनर्गठित करने के लिए उपलब्ध नहीं है।"
इसमें कहा गया,
"मामला इतना पुराना होने के बावजूद, याचिकाकर्ता ने इसके फैसले में तेजी लाने के लिए कभी कोई आवेदन दायर नहीं किया, जो इस पुराने मामले पर बहस करने के उसके गंभीर इरादे पर संदेह पैदा करता है।"
जस्टिस चितकारा ने आगे कहा,
शायद शुरुआती देरी ने सभी उम्मीदें खो दीं, और उचित समय में निर्णय लेने में विफलता ने शायद न्याय की उम्मीदों को विफल कर दिया।
अदालत ने यह कहते हुए याचिका का निपटारा कर दिया,
"...इस अदालत के पास एकमात्र विकल्प इस याचिका को बंद करना है, किसी भी पक्ष को पुनर्निर्मित रिकॉर्ड के साथ आवेदन दायर करके इसे पुनर्जीवित करने की स्वतंत्रता है।"