एक विवाहित व्यक्ति के दूसरी महिला के साथ "अवैध संबंध" का खामियाजा उसकी पत्नी, बच्चों को भुगतना पड़ता है: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक विवाहित व्यक्ति के तलाकशुदा महिला के साथ रहने पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि उनके "अवैध संबंध" का खामियाजा उस व्यक्ति की पत्नी और बच्चों को भुगतना पड़ा।
कोर्ट ने उस व्यक्ति की पत्नी के खिलाफ दंपति की सुरक्षा याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह महज एक "छिपाना" है और उसे पत्नी को 25 हजार रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।
दंपति ने आरोप लगाया कि उस व्यक्ति की पत्नी उसके घर पर आई, महिला के साथ दुर्व्यवहार किया और झूठे और तुच्छ आरोप लगाकर "एक हंगामा खड़ा कर दिया।
आरोपों पर गौर करते हुए जस्टिस आलोक जैन ने कहा,
"..(आरोप) याचिकाकर्ताओं के जीवन और स्वतंत्रता के लिए किसी भी खतरे की धारणा को प्रदर्शित नहीं करते हैं और यह याचिका केवल अवैध और अवैध संबंध को कवर करने के लिए दायर की गई है।"
हाल ही में कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले और पुलिस सुरक्षा की मांग करने वाले दो विवाहित व्यक्तियों पर 2,500 रु. का जुर्माना लगाया था।
कोर्ट ने टिप्पणी की थी, "विवाह से बाहर रहने की किसी की पसंद का मतलब यह नहीं है कि विवाहित व्यक्ति विवाह के दौरान दूसरों के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने के लिए स्वतंत्र हैं।"
दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने माना है कि सहमति से विवाहित व्यक्तियों के बीच लिव-इन संबंध को "सामाजिक रूप से अवांछनीय" माना जा सकता है, लेकिन वे आपराधिक नहीं हैं और अदालतें ऐसे व्यक्तियों पर नैतिकता की अपनी धारणा नहीं थोप सकती ।
अपीयरेंस: याचिकाकर्ताओं के वकील चनप्रीत सिंह।
केस का टाइटल: एक्स बनाम पंजाब राज्य और अन्य।