पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एनडीपीएस मामलों में सजा के निलंबन के लिए 'अनिवार्य हिरासत' के नियम में ढील दी

Update: 2023-03-17 14:51 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा, ऐसे मामलों, जहां दोषी ने जानबूझकर मादक द्रव्य की व्यावसायिक मात्रा अपने पास रखी थी, में सजा निलंबन की राहत प्रदान करने पर विचार के लिए 6 साल की न्यूनतम हिरासत अवधि के मानदंड में 6 महीने की मामूली राहत दी जा सकती है...।

कोर्ट के समक्ष दायर याचिका आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 389 (2) के तहत दायर एक आवेदन से संबंधित है, जिसमें स्पेशल कोर्ट लुधियाना ने आवेदक को एनडीपीएस एक्ट, 1985 की धारा 15 (सी) के तहत दोषी ठहराया था। उसे 12 साल की सजा दी गई और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। आवेदन में सजा को निलंबित करने की मांग की थी।

कोर्ट ने आवेदक ने की अपील स्वीकार की ‌थी और जुर्माने की वसूली पर रोक लगा दी थी।

पीठ ने कहा कि आवेदक को अधिनियम की धारा 15 (सी) के अनुसार दोषी पाया गया था और 12 साल की जेल की सजा और जुर्माना दिया गया था, और उसकी अपील अभी भी इस न्यायालय के समक्ष लंबित है और इसकी कोई संभावना नहीं है कि इस पर जल्द सुनवाई होगी।

पीठ ने यह भी नोट किया कि उसने पहले ही साढ़े पांच साल हिरासत में बिता चुका है, जिसमें सजा के बाद दो साल से अधिक की हिरासत भी शामिल है।

जेल महानिदेशक, हरियाणा और अतिरिक्त डीजीपी (कारागार), पंजाब, चंडीगढ़ की ओर से दी गई जानकारियों का हवाला देते हुए पीठ ने कहा, "दोनों राज्यों में जेलों में कैदियों की संख्या अधिकांश जेलों की क्षमता से बहुत अधिक है। एनडीपीएस एक्ट के तहत बंद कैदियों सहित विचाराधीन कैदियों की पर्याप्त संख्या है।"

इसे "एक अतिरिक्त कारक" के रूप में देखते हुए, पीठ ने कहा, "इस समय इस बात पर विचार करना भी आवश्यक है कि एनडीपीएस एक्ट के तहत दोषियों को सजा निलंबन की राहत देने या न देने पर विचार किया जाए।"

इस अतिरिक्त कारक के मद्देनजर, पीठ की सुविचारित राय थी कि, "ऐसे मामलों, जहां दोषी ने जानबूझकर मादक द्रव्य की व्यावसायिक मात्रा अपने पास रखी थी, में सजा निलंबन की राहत प्रदान करने पर विचार के लिए 6 साल की न्यूनतम हिरासत अवधि के मानदंड में 6 महीने की मामूली राहत दी जा सकती है।"

याचिका को स्वीकार करते हुए बेंच ने कहा,

"चूंकि मौजूदा मामले में आवेदक कुल साढ़े 5 साल की हिरासत में और सजा के बाद 2 साल से अधिक की हिरासत में रह चुका है, और चूंकि आवेदक वैसे भी विशेष अदालत द्वारा लगाई गई सजा काटेगा और यदि अपील खारिज कर दी जाती है तो हिरासत की पूरी अवधि से गुजरना पड़ेगा। इस आवेदन की अनुमति दी जाती है और न्यायाधीश, विशेष न्यायालय द्वारा आवेदक पर लगाई गई शेष सजा, संबंधित ड्यूटी मजिस्ट्रेट/मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की संतुष्टि के लिए आवेदक द्वारा जमानत बांड प्रस्तुत करने के अधीन निलंबित की जाती है।"

केस टाइटल: तालीम खान बनाम खुफिया अधिकारी CRM-44634-2021 इन CRA-D-932-2019

जजमेंट पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

Tags:    

Similar News