एनआई एक्ट| कानून की उचित प्रक्रिया को बाधित करने के लिए सीआरपीसी की धारा 482 के क्षेत्राधिकार को लागू नहीं किया जा सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Update: 2022-06-29 10:41 GMT

Punjab & Haryana High court

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने चेक डिसऑनर से संबंधित मामले में माना कि याचिकाकर्ता सीआरपीसी की धारा 482 को लागू नहीं कर सकता है। हालांकि, अप्रत्यक्ष रूप से उक्त अधिकार को बहाल करने का निर्देश मांग सकता है। उक्त मामले में परक्राम्य लिखत अधिनियम (NI Act) की धारा 138 के तहत कार्यवाही लागू करने की सीमा अवधि समाप्त हो गई थी।

जस्टिस विनोद एस. भारद्वाज ने कहा,

"कानून में निर्धारित प्रक्रिया को दरकिनार करने के लिए कानून की प्रक्रिया का सहारा नहीं लिया जा सकता।"

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि प्रतिवादी द्वारा किए गए आश्वासन के आधार पर कि भुगतान किया जाएगा, उसने परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 138 के तहत कोई शिकायत दर्ज नहीं की। आगे यह तर्क दिया गया कि उक्त प्रतिवादी ने याचिकाकर्ता के साथ धोखाधड़ी की है। इस संबंध में डीएसपी गुरदासपुर को पहले ही अभ्यावेदन प्रस्तुत किया जा चुका है, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

उसने प्रतिवादी अधिकारियों को प्रतिनिधित्व पर स्थिति रिपोर्ट मांगने के लिए निर्देश देने की मांग की।

कोर्ट ने कहा,

अभ्यावेदन प्रस्तुत करना और इस न्यायालय का दरवाजा खटखटाना स्पष्ट रूप से याचिकाकर्ता की ओर से प्रतिवादियों को नए चेक जारी करने का प्रयास है, क्योंकि पहले के चेक डिऑनर होने के संबंध में शिकायत करने की समय अवधि पहले ही समाप्त हो चुकी है।

अदालत ने कहा कि कथित रूप से लेन-देन 2017 में हुआ था और चेक जनवरी 2021 में डिसऑनर हो गया था। इसलिए, अभ्यावेदन प्रस्तुत करना और इस न्यायालय से संपर्क करना प्रतिवादियों को नए चेक जारी करने के लिए बाध्य करने का प्रयास है, क्योंकि संस्था के लिए शिकायत की समय-सीमा पहले ही समाप्त हो चुकी है।

इसलिए, याचिकाकर्ताओं को अदालत द्वारा जोड़े गए कानून के अनुसार सक्षम अधिकारियों के समक्ष उचित कार्यवाही का सहारा लेना चाहिए।

नतीजतन, अदालत ने वर्तमान याचिका को बिना किसी योग्यता के यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वर्तमान याचिका स्पष्ट रूप से कानून की उचित प्रक्रिया को दरकिनार करने और प्रतिवादियों पर दबाव बनाने का प्रयास है।

केस टाइटल: हरजीत सिंह बनाम पंजाब राज्य और अन्य

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