डॉ. आंबेडकर पर अपमानजनक वीडियो को लेकर जांच का सामना कर रहे लॉ स्टूडेंट को हाईकोर्ट से राहत

Update: 2025-10-15 06:05 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी, लखनऊ के प्रशासन को निर्देश दिया कि वह डॉ. बी.आर. आंबेडकर से संबंधित कथित अपमानजनक वीडियो को लेकर अनुशासनात्मक कार्यवाही का सामना कर रहे लॉ स्टूडेंट को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करे।

जस्टिस पंकज भाटिया की पीठ ने यह आदेश उस स्टूडेंट द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए दिया, जो LLB (ऑनर्स) के चौथे सेमेस्टर की पढ़ाई कर रहा है। उसे 13 फरवरी, 2025 को यूनिवर्सिटी से निलंबित कर दिया गया और कैंपस को उसके लिए 'प्रवेश निषेध' घोषित कर दिया गया।

यूनिवर्सिटी ने अपने प्रॉक्टोरियल बोर्ड द्वारा जांच कराने का भी आदेश दिया था।

याचिकाकर्ता के अनुसार, उसे एक वीडियो के संबंध में झूठा फंसाया गया, जिसमें कथित तौर पर बाबासाहेब आंबेडकर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां थीं।

कोर्ट ने कहा कि प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने स्टूडेंट के निलंबन या भविष्य की कार्रवाई के संबंध में अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया।

यूनिवर्सिटी की ओर से उपस्थित वकील ने दलील दी कि स्टूडेंट "डर या अन्य कारणों से" बोर्ड के समक्ष उपस्थित नहीं हो रहा है। साथ ही यह आश्वासन भी दिया गया कि यदि वह बोर्ड के समक्ष उपस्थित होता है तो शीघ्रता से निर्णय लिया जाएगा।

इन दलीलों पर गौर करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता-छात्र को एक सप्ताह के भीतर प्रॉक्टोरियल बोर्ड के समक्ष उपस्थित होने की अनुमति देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया।

जस्टिस भाटिया ने निर्देश दिया कि स्टूडेंट को पूरी सुरक्षा प्रदान की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि उसे कोई नुकसान न पहुंचे।

कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि आवश्यक हो तो लखनऊ के पुलिस आयुक्त यह सुनिश्चित करेंगे कि याचिकाकर्ता को बोर्ड के समक्ष उपस्थित होने के लिए उचित सुरक्षा प्रदान की जाए।

पीठ ने आगे निर्देश दिया कि प्रॉक्टोरियल बोर्ड याचिकाकर्ता की बात सुनने और निर्धारित नियमों का पालन करने के बाद अधिमानतः दो सप्ताह के भीतर एक तर्कसंगत आदेश पारित करे।

महत्वपूर्ण बात यह है कि कोर्ट ने याचिकाकर्ता-स्टूडेंट को प्रॉक्टोरियल बोर्ड के किसी भी प्रतिकूल निर्णय को हाईकोर्ट में फिर से चुनौती देने का विकल्प खुला रखा।

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