पैगंबर पर टिप्पणी : श्रीनगर कोर्ट ने नुपुर शर्मा, नवीन जिंदल और अन्य के खिलाफ शिकायत पर पुलिस इंक्वायरी का आदेश दिया

Update: 2022-06-18 17:10 GMT

सिटी जज श्रीनगर की अदालत ने शनिवार को श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 202 के तहत जांच करने का निर्देश दिया ताकि यह पता लगाया जा सके कि पैगंबर मुहम्मद साहब पर विवादास्पद टिप्पणी के मामले में नूपुर शर्मा और अन्य के खिलाफ दर्ज शिकायत में आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं या नहीं।

अदालत ने 28 जुलाई 2022 तक उक्त जांच पूरी करने के निर्देश दिए हैं।

मोहम्मद अशरफ भट नाम के एक वकील ने यहां की एक अदालत के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ कथित "आपत्तिजनक टिप्पणी" के लिए निलंबित भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा और अन्य के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की मांग की गई है।

नुपुर शर्मा के अलावा शिकायतकर्ता ने निष्कासित दिल्ली भाजपा मीडिया प्रमुख नवीन कुमार जिंदल, टाइम्स नाउ न्यूज चैनल की एंकर नविका कुमार और बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड (टीवी डिवीजन) की अनुपालन अधिकारी कीर्तिमा मारवूर को भी पार्टी बनाया है। .

एडवोकेट नज़ीर रोंगा के माध्यम से शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि जहां नूपुर शर्मा ने टाइम्स नाउ चैनल में एक पैनल चर्चा के दौरान पैगंबर मुहम्मद साहब के बारे में "भड़काऊ और अपमानजनक" टिप्पणी का इस्तेमाल किया, वहीं नवीन जिंदल ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट के माध्यम से पूर्व द्वारा दिए गए बयान का समर्थन किया।

शिकायतकर्ता ने आगे आरोप लगाया कि शो की मेजबानी कर रही नविका कुमार ने शर्मा द्वारा दिए गए बयानों की निंदा नहीं की और न ही उसमें हस्तक्षेप किया।

आरोप है कि इनआरोपियों ने मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की मंशा से काम किया।

।लसुप्रीम कोर्ट के फैसलों का जिक्र करते हुए शिकायतकर्ता ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि "घृणास्पद भाषण कमजोर लोगों पर व्यापक हमलों की नींव है जो भेदभाव से लेकर बहिष्कार, निर्वासन, हिंसा और यहां तक ​​​​कि नरसंहार तक हो सकते हैं।

शिकायतकर्ता ने सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी, 153ए, 153बी, 295(ए), 298 और 505(2) के तहत कार्रवाई के निर्देश देने और उन्हें दंडित करने का निर्देश देने की मांग की।

शिकायतकर्ता के वकील को सुनने के बाद अदालत ने पाया कि सभी आरोपी व्यक्ति अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहते हैं और इस प्रकार आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ प्रक्रिया जारी करने से पहले सीआरपीसी की धारा 202 के तहत जांच अनिवार्य हो जाती है।

अदालत ने एसएसपी को 28 जुलाई 2022 तक अपनी जांच पूरी करने का निर्देश देते हुए मामले को उसी दिन फिर से आगे की कार्रवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

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