विवाहित महिला से किया गया शादी का वादा रेप केस का आधार नहीं बन सकताः केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को दोहराया कि पहले से विवाहित महिला से शादी करने के लिए एक पुरुष द्वारा किया गया वादा कानून में लागू नहीं है, और इस तरह के वादे के आधार पर उनके बीच कोई भी यौन बनने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376 की सामग्री आकर्षित नहीं होती है।
वर्ष 2018 में पुनालूर पुलिस स्टेशन द्वारा दर्ज एक बलात्कार के मामले को खारिज करते हुए, जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने कहा कि विवाहित महिला ने स्वेच्छा से ''अपने प्रेमी के साथ'' यौन संबंध बनाए और वह अच्छी तरह से जानती थी कि वह उसके साथ वैध विवाह में प्रवेश नहीं कर सकती है क्योंकि वह पहले से ही शादीशुदा थी।
''हाल ही में एक्सएक्सएक्स बनाम केरल राज्य,2022 केएचसी 296 के मामले में इस अदालत ने माना है कि आरोपी द्वारा एक विवाहित महिला से कथित तौर पर किया गया शादी का वादा, एक ऐसा वादा है जो कानून में लागू नहीं है। इसलिए एक अप्रवर्तनीय और अवैध वादा आईपीसी की धारा 376 के तहत अभियोजन का आधार नहीं हो सकता है।''
अभियोजन पक्ष के अनुसार, याचिकाकर्ता-आरोपी ने पीड़िता से शादी का झूठा वादा करके ऑस्ट्रेलिया में कई मौकों पर उसका यौन शोषण किया। विवाहित होने के बावजूद महिला अपने पति से अलग रह रही है और तलाक की कार्यवाही भी चल रही है।
महिला ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा कि उसने याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए शादी के वादे पर राजी होने के बाद यौन संबंध बनाने के लिए सहमति दी थी।
कोर्ट ने कहा,
''हालांकि एफ.आई.एस. में यह कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने उसे अपने साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया, एफ.आई.एस. को पूरा पढ़ने पर यह स्पष्ट है कि संभोग प्रकृति में सहमति से किया गया था। जैसा कि पहले ही कहा गया है, उसका मामला यह है कि उसने याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए शादी के वादे से राजी होने के बाद अपनी सहमति दी थी।''
अदालत ने आगे कहा कि यह तय है कि यदि कोई पुरुष किसी महिला से शादी करने के अपने वादे से मुकरता है तो सहमति से किया गया यौन संबंध आईपीसी की धारा 376 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा, जब तक कि यह स्थापित नहीं हो जाता है कि इस तरह के यौन कृत्य के लिए सहमति उसके द्वारा शादी का झूठा वादा करके प्राप्त की गई थी,जिसका पालन करने का उसका कोई इरादा नहीं था और किया गया वादा उसकी जानकारी के लिए झूठा था।
हालांकि, कोर्ट ने कहा कि मामले में शादी के वादे का कोई सवाल ही नहीं उठता है क्योंकि पीड़िता एक विवाहित महिला है जो जानती थी कि कानून के तहत याचिकाकर्ता के साथ उसका कानूनी विवाह संभव नहीं है।
''इसलिए, मेरा विचार है कि आईपीसी की धारा 376 के मूल तत्व आकर्षित नहीं होते हैं। आईपीसी की धारा 417 और 493 के अवयवों को आकर्षित करने के लिए भी रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है। धोखाधड़ी के अपराध को आकर्षित करने के लिए कोई सामग्री नहीं है। दूसरे प्रतिवादी के लिए ऐसा कोई मामला नहीं है कि उन्होंने जो सेक्स किया था वह वैध विवाह के विश्वास को प्रेरित करने के बाद किया था।''
आरोपी के खिलाफ मामला खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि मामले को आगे बढ़ाने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट महेश वी. रामकृष्णन पेश हुए। प्रतिवादियों का प्रतिनिधित्व लोक अभियोजक संगीता राज ने किया।
केस टाइटल- टीनो थंकाचान बनाम केरल राज्य व अन्य
साइटेशन- 2022 लाइव लॉ (केरल) 615
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