'बहुमूल्य जान चली गई' :मद्रास हाईकोर्ट ने कहा ऑनलाइन गैंबलिंग को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाया जाए

Update: 2020-11-05 13:02 GMT

Madras High Court

मंगलवार (03 नवंबर) को मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने कहा कि ''यह नोट करना निराशाजनक है कि ऑनलाइन गैंबलिंग के कारण कई बहुमूल्य ज़िंंदगियांं खत्म हो गई हैं।''

न्यायमूर्ति एन किरुबाकरन और न्यायमूर्ति बी पुगलेंधी की खंडपीठ एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सातवें प्रतिवादी और अन्य द्वारा आयोजित ऑनलाइन रमी पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रतिवादी अधिकारियों को निर्देशित करने के लिए परमोदश जारी करने की मांग की गई थी।

न्यायालय ने इस मामले में उन मीडिया रिपोर्ट पर भी न्यायिक नोटिस लिया है,जिनमें ऑनलाइन गैंबलिंग के कारण मरने वाले व्यक्तियों की संख्या के बारे में बताया गया है।

कोर्ट ने कहा,

''ऑनलाइन गैंबलिंग में शामिल कई युवा अपने पैसे हार गए और ऑनलाइन गैंबलिंग के लिए उन्होंने जो ऋण लिए थे,वो उनका भुगतान करने में असमर्थ हो गए। उसी के कारण उन्होंने आत्महत्या करने जैसा चरम कदम भी उठाया। यह बताया गया है कि इस आॅनलाइन गैंबलिंग में 25,000 करोड़ रुपये लगे हुए हैं। वहीं इस हत्यारी गैंबलिंग को खेलने के लिए इसका व्यापक प्रचार किया जा रहा है और उसमें कई सेलिब्रिटी को भी लिया जा रहा है,जिस कारण इस खेल की लोकप्रियता बढ़ रही है।''

रिट याचिका में शामिल मुद्दे की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, कोर्ट ने स्वत संज्ञान के आधार पर ''मुख्य कार्यकारी कार्यालय (टीओआरएफ), ऑनलाइन रम्मी फेडरेशन ऑफ इंडिया''को आठवें प्रतिवादी के रूप में शामिल कर लिया है।

अदालत ने आगे टिप्पणी करते हुए कहा कि,

''इस न्यायालय को उम्मीद है कि ऑनलाइन गैंबलिंग को विनियमित करने के लिए कानून लाने सहित उचित, पर्याप्त और तत्काल उपाय सरकार द्वारा अगली सुनवाई से पहले किए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इसके बाद कोई कीमती या बहुमूल्य जीवन न खो पाए।''

'डी सिलुवाई वेनेंस बनाम राज्य '(मद्रास हाईकोर्ट) मामले का आदेश

गौरतलब है कि 24 जुलाई, 2020 को जस्टिस बी पुगलेंधी ने Crl.O.P. (MD) No.6568 of 2020 [D. Siluvai Venance v. State], मामले का निपटारा करते हुए ऑनलाइन गैंबलिंग के बारे में विस्तार से बताया था कि कैसे ऑनलाइन गैंबलिंग के नाम पर बहुमूल्य जीवन खो रहे हैं। वहीं तेलंगाना राज्य सरकार के सममूल्य इन कार्यक्रमों को विनियमित करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। तेलंगाना में ऑनलाइन गैंबलिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

यह ध्यान दिया जा सकता है कि उपरोक्त मामले में मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै खंडपीठ (डी सिलुवाई वेनेंस बनाम स्टेट) ने ''ऑनलाइन गेम्स'' जैसे रम्मी, ब्रिज, नैप,पोकर आदि विचार करने और इनको विनियमित करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया था। यह सभी गेम्स बेरोजगार युवाओं को अपने पैसे को दांव पर लगाने के लिए फुसला रहे हैं।

न्यायमूर्ति बी.पुगलेंधी की पीठ ने कहा था कि,

''केवल तमिलनाडु राज्य में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में, इस तरह के ऑनलाइन गेम्स ... बढ़ रहे हैं और लगभग सभी सोशल मीडिया और वेबसाइटों में बहुत सारे विज्ञापन दिखाई दे रहे हैं। ऐसा लगता है कि ये विज्ञापन ज्यादातर बेरोजगार युवाओं को लक्षित कर रहे हैं और उन्हें घर से आराम से पैसा कमाने के बहाने इस तरह के खेल खेलने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।''

पीठ को बताया गया कि वर्तमान में ऑनलाइन स्किल गेम्स को विनियमित करने और लाइसेंस देने के लिए कोई नियम नहीं है, जिसके बाद पीठ ने कहा था,

''यह न्यायालय आशा और विश्वास करता है कि यह सरकार वर्तमान चिंताजनक स्थिति पर ध्यान देगी और उपयुक्त कानून पारित करेगी, ताकि लाइसेंस के माध्यम से ऐसे ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित और नियंत्रित किया जा सके ... यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि अगर सरकार इस संबंध में कानून पारित करने का इरादा रखती है, सभी हितधारकों को नोटिस में रखा जाना चाहिए और उनके विचारों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।''

गुजरात हाईकोर्ट

इसी तरह, गुजरात हाईकोर्ट के समक्ष एक मुद्दा उठाया गया था और गुजरात हाईकोर्ट की पहली बेंच ने आर/रिट पैटिशन (पीआईएल) नंबर 146/2020 में 29 सितम्बर 2020 को अपना आदेश देते हुए गुजरात राज्य को निर्देश दिया था कि वह उचित रूप से गैंबलिंग सहित आॅनलाइन गेम्स की समस्या से निपटे।

मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने राज्य सरकार को यह निर्देश था कि वह ऑनलाइन गैंबलिंग के विनियमन की मांग करने वाली जनहित याचिका पर एक प्रतिनिधित्व के रूप में विचार करे और ''बड़े जनहित'' को ध्यान में रखते हुए जरूरी कदम उठाए।

पीठ ने कहा था कि,

''हम गुजरात राज्य को इस रिट एप्लिकेशन को एक प्रतिनिधित्व के रूप में विचार करने के लिए निर्देशित करते हैं। यदि ऑनलाइन गेम्स,जिनमें गैंबलिंग भी शामिल हैं और यदि वे गुजरात राज्य में खेले जा रहे हैं, तो राज्य से यह उम्मीद की जाती है कि वे इन से उचित प्रकार से निपटेगा क्योंकि गेमिंग भारत के संविधान की अनुसूची VII सूची II का विषय है।''

मद्रास हाईकोर्ट ने विराट कोहली, सौरव गांगुली और अन्य को नोटिस जारी किया

विशेष रूप से, मंगलवार (03 नवंबर) को हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और बीसीसीआई प्रमुख और पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान सौरव गांगुली को ऑनलाइन स्पोर्टस ऐप विज्ञापनों में शामिल होने के मामले में नोटिस जारी किया है।

न्यायमूर्ति एन किरुबाकरण और न्यायमूर्ति बी पुगलेंधी की खंडपीठ ने अभिनेता प्रकाश राज, तम्मना भाटिया सहित अन्य को भी नोटिस जारी किया है।

विशेष रूप से, यह आदेश उस याचिका में आया है,जो मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच के समक्ष एक मोहम्मद रिजवी ने अपने एडवोकेट के नीलमेगमन थुजा के माध्यम से दायर की थी और आरोप लगाया गया था कि इस तरह के ऐप में पैसे खोने के बाद, भारत के विभिन्न हिस्सों में कुछ युवाओं ने आत्महत्या कर ली है।

दिल्ली हाईकोर्ट

इसके अलावा, पिछले महीने, दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वे ऑनलाइन गैंबलिंग के खिलाफ दायर एक याचिका का एक प्रतिनिधित्व की तरह मानते हुए याचिका में उल्लिखित शिकायतों का निर्णय करें।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की खंडपीठ ने प्रतिवादियों (यूओआई और दिल्ली सरकार) को निर्देश दिया था कि वह मामले के तथ्यों पर लागू कानून, नियमों, विनियमों और सरकार की नीतियों के अनुसार प्रतिनिधित्व पर अपना निर्णय जल्दी से जल्दी लें।

आदेश की काॅपी यहां से डाउनलोड करें



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