पुलिस से किसी भी समाज का सबसे सुलभ, संवादात्मक और गतिशील संगठन होने की उम्मीद: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

Update: 2022-01-17 11:19 GMT

Chhattisgarh High Court

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पुलिस को समाज के सबसे सर्वव्यापी संगठनों में से एक बताते हुए हाल ही में कहा कि पुलिस से किसी भी समाज का सबसे सुलभ, संवादात्मक और गतिशील संगठन होने की उम्मीद की जाती है।

जस्टिस रजनी दुबे की खंडपीठ ने जोर देकर कहा कि जरूरत, खतरे, संकट और कठिनाई की घड़ी में, जब एक नागरिक को यह नहीं पता होता है कि क्या करना है और किससे संपर्क करना है, तो पुलिस स्टेशन और एक पुलिसकर्मी उसके ल‌िए सबसे उपयुक्त स्वीकार्य इकाई और व्यक्ति होते हैं।

मामला

न्यायालय स्वर्गीय विश्वनाथ नायर की हत्या के संबंध में जांच सीबीआई को स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका पर विचार कर रहा था ।

जैसा कि याचिका में प्रस्तुत किया गया था, नायर दो बार के विधायक थे और कवर्धा रियासत की राजमाता श्रीमती शशि प्रभा देवी के भतीजे थे, जो कवर्धा जिले में करोड़ों रुपये की संपत्ति रखने वाली एक अत्यधिक प्रभावशाली और राजनीतिक व्यक्तित्व थीं।

चूंकि वह अपने भतीजे के काफी करीब थीं, उन्होंने (राजमाता) एक वसीयतनामा किया था, जिसमें उन्होंने अपनी सारी संपत्ति अपनी दोनों बेटियों, मृतक भतीजे विश्वनाथ को हस्तांतरित कर दी थी और संपत्ति में कोई भी हिस्सा अपने बेटे- प्रतिवादी संख्या 8 को नहीं दिया गया था । राजमाता और उनके बेटे के बीच मतभेद थे।

राजमाता की मृत्यु के बाद, उनकी बेटियों ने भी न केवल अपनी बल्कि राजमाता की संपत्त‌ि के प्रबंधन और प्रशासन के लिए स्वर्गीय विश्वनाथ नायर पर भी ‌ही विश्वास जताया।

याचिका में आरोप लगाया गया था कि स्वर्गीय विश्वनाथ नायर की राजमाता और उनकी बेटियों के साथ निकटता प्रतिवादी संख्या 8 को आहत कर रही थी और उनके दिल में पीड़ा और घृणा पैदा कर रही थी और विश्वनाथ नायर की हत्या से पहले, उन्होंने (प्रतिवादी संख्या 8/ राजमाता का पुत्र)) उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी।

नायर की हत्या की जांच के दौरान अदालत के समक्ष दलील दी गई, याचिकाकर्ताओं ने पुलिस को मृतक/ नायर और प्रतिवादी संख्या 8 और 9 के बीच दुश्मनी के बारे में सूचित किया था, लेकिन पुलिस प्राधिकरण द्वारा इस परिप्रेक्ष्य से कोई जांच नहीं की गई थी।

अंत में, याचिकाकर्ताओं ने प्रार्थना की कि जांच अधिकारियों को गिरफ्तार अभियुक्तों और निजी प्रतिवादियों के कॉल विवरण प्राप्त करने के लिए कहा जाना चाहिए क्योंकि उन्हें संदेह है कि यह कॉन्ट्रेक्ट कीलिंग का मामला है। याचिका में जांच में कई कमियों की ओर भी इशारा किया गया है।

टिप्पणियां

अदालत ने याचिकाकर्ता के साथ दायर किए गए दस्तावेजों को ध्यान में रखा, जिसमें संकेत दिया गया था कि निजी प्रतिवादियों (8 और 9) और मृतक विश्वनाथ नायर के बीच संबंध सौहार्दपूर्ण नहीं थे ।

दस्तावेजों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि विश्वनाथ की मौत के बाद याचिकाकर्ताओं ने सवाल किया है और राज्य की जांच एजेंसी द्वारा की जा रही जांच पर गंभीर संदेह जताया है, हालांकि, इस संबंध में जांच एजेंसी द्वारा कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया था।

अदालत ने यह भी देखा कि केवल अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, जिला कबीरधाम द्वारा एक जांच की गई थी, जो अदालत की राय में, संतोषजनक नहीं थी और हत्या जैसे मामले में याचिकाकर्ताओं के संदेह को दूर करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।

अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह आगे मामले की जांच करें। सीबीआई को मामले से संबंधित सभी रिकॉर्ड को जब्त करने और आरोपी, मृतक और संदिग्ध व्यक्तियों के मोबाइल फोन के सिम विवरण को जल्द से जल्द जब्त करने और निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच पूरी करने के लिए हर संभव प्रयास करने का भी निर्देश दिया गया।

केस शीर्षक - ज्योति नायर और अन्य बनाम छत्तीसगढ़ राज्य और अन्य

केस सिटेशन: 2022 लाइव लॉ (Chh) 2

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