इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्थानीय पुलिस, सीडब्ल्यूसी को POCSO मामलों में पीड़ितों के अधिकारों पर 'जुनैद केस' में दिए गए निर्देशों का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा है कि पॉक्सो अधिनियम (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) से संबंधित सभी मामलों में, हाईकोर्ट द्वारा (जुनैद बनाम यू.पी. राज्य व अन्य के मामले में) जारी निर्देशों का अनुपालन स्थानीय पुलिस के साथ-साथ संबंधित जिले के सीडब्ल्यूसी ने भी नहीं किया है।
यह ध्यान दिया जा सकता है कि जुनैद के मामले में, हाईकोर्ट ने अन्य बातों के साथ, पॉक्सो अधिनियम, 2012 के तहत जमानत आवेदनों के निपटान के लिए निर्देश और समयसीमा जारी की थी। अदालत ने पुलिस और बाल कल्याण समिति को भी निर्देश जारी किया था कि आरोपी के जमानत आवेदन की सूचना मिलने पर पीड़ित/पीड़ित पक्ष को सूचित करें, उन्हें उनके अधिकारों के बारे में बताया जाए और कानूनी सेवाएं प्रदान की जाएं।
एक पॉक्सो आरोपी की तरफ से दायर जमानत याचिका पर विचार करते हुए, न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने सोमवार को कहा कि प्रथम दृष्टया, पुलिस अधिकारियों ने न केवल जुनैद मामले में अदालत द्वारा पारित आदेशों की अवहेलना की है, बल्कि पीड़ित के अधिकारों को भी नजरअंदाज कर दिया है।
कोर्ट ने आगे कहा कि वर्तमान मामले में, सीडब्ल्यूसी भी इस न्यायालय के समक्ष पेश नहीं हुआ और स्थानीय पुलिस द्वारा जारी किए गए आदेशों में 'जुनैद मामले' में दिए गए निर्देशों का अनुपालन नहीं दिख रहा है।
हालांकि, कोर्ट ने नोट किया कि यूपी राज्य के पुलिस महानिदेशक ने अपनी फोर्स को इस संबंध में विशिष्ट निर्देश जारी किए थे, लेकिन यूपी राज्य के पुलिस महानिदेशक की तरफ से जारी निर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है।
कोर्ट ने जोर देते हुए कहा कि पुलिस एक अनुशासित फोर्स है और यदि पुलिस अधिकारी अपने डीजीपी जैसे वरिष्ठ के कानूनी आदेश का पालन करने में विफल रहते हैं, तो वह कानून के अनुसार कार्रवाई के लिए उत्तरदायी हैं।
अदालत ने कहा कि,
''यह न्यायालय के लिए गंभीर चिंता का विषय है कि जुनैद (सुप्रा) में इस न्यायालय द्वारा पारित आदेशों की अवज्ञा ने पॉक्सो नियमों के साथ पठित पॉक्सो अधिनियम को लागू करने के विधायी इरादे को प्रभावी ढंग से विफल कर दिया है।''
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया है कि वह अपना व्यक्तिगत हलफनामा दायर करके बताएं कि सभी संबंधित मामलों में जुनैद मामले में जारी निर्देशों का पालन न करने के क्या कारण रहे हैं और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है?
कोर्ट ने कहा कि यह भी स्पष्ट नहीं है कि सीडब्ल्यूसी ने न्यायालय के निर्देशों का पालन किया है या नहीं? वहीं पॉक्सो नियमों के साथ पठित पॉक्सो अधिनियम द्वारा पीड़ित के संरक्षण को लागू करने के संबंध में भी कोई जानकारी नहीं है,इसलिए अदालत ने प्रधान सचिव, बाल कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस संबंध में एक व्यक्तिगत हलफनामा दायर करें और जुनैद मामले में जारी दिशानिर्देशों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करवाएं।
अंत में, समस्या की गंभीरता को देखते हुए, कोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी से कोर्ट की सहायता करने और पुलिस महानिदेशक, यूपी सरकार, प्रमुख सचिव, बाल कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य अधिकारियों से निर्देश लेने का अनुरोध किया। साथ ही कहा कि वह यूपी राज्य में पॉक्सो नियमों के साथ पठित पॉक्सो अधिनियम के उचित तरीके से कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के संबंध में स्वतंत्र रूप से न्यायालय की सहायता करें।
केस का शीर्षक - जय हिंद उर्फ बाबू बनाम यूपी राज्य व अन्य
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