पक्षकारों के आपसी समझौता करने पर नाबालिग के खिलाफ पॉक्सो मामला रद्द किया जा सकता है : कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को नाबालिग लड़के द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया और आपसी समझौता होने के बाद नाबालिग लड़की का कथित रूप से यौन उत्पीड़न करने के लिए यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) की धाराओं के तहत उसके खिलाफ शुरू की गई जांच रद्द कर दी।
जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने याचिका की अनुमति दी और ओपन कोर्ट में अपना आदेश सुनाते हुए कहा,
"याचिका की अनुमति है, याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्यवाही समाप्त की जाती है।"
इससे पहले, अदालत ने निर्देश दिया कि मामले में आगे की जांच पर रोक रहेगी, जो आगे के आदेश पारित होने के परिणाम के अधीन होगी।
याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता की बेटी अभी भी नाबालिग हैं और रिश्ते में है, जिसके परिणामस्वरूप वर्तमान अपराध दर्ज किया गया। याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट प्रतीक चंद्रमौली और विद्याश्री केएस ने प्रस्तुत किया कि पक्षकारों ने इस मुद्दे को सुलझा लिया है। इस तरह के समझौते के कारण कार्यवाही को समाप्त करने की मांग की है।
याचिकाकर्ता ने विजयलक्ष्मी बनाम राज्य के मामले में मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें मामले को इस आधार पर रद्द कर दिया गया कि पॉक्सो अधिनियम का इरादा किशोर लड़के को दंडित करना नहीं है, जो किशोर लड़की के साथ संबंध में है।
यह भी तर्क दिया गया कि जब शिकायतकर्ता स्वयं मामले पर मुकदमा चलाने की इच्छा नहीं रखते हैं तो आपराधिक कार्यवाही जारी रखना केवल न्याय का गर्भपात होगा।
पीड़ित पक्ष ने इसका इस आधार पर विरोध किया कि अपराध पॉक्सो अधिनियम के तहत आता है, इसलिए उक्त समझौता स्वीकार नहीं किया जा सकता।
केस टाइटल: एजे बनाम कर्नाटक राज्य
साइटेशन: लाइव लॉ (कर) 355/2022
आदेश की तिथि: 09-09-2022