मामले को दूसरी अदालत में ट्रांसफर करने की याचिका तर्क पर आधारित होनी चाहिए, अति संवेदनशील विवेक की आशंका पर नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में फैमिली जज, पटियाला हाउस कोर्ट के समक्ष लंबित मामलों को सक्षम क्षेत्राधिकार वाली किसी अन्य अदालत में ट्रांसफर करने की याचिका खारिज कर दी, यह देखते हुए कि ऐसी याचिकाओं के पीछे की आशंकाएं तर्क पर आधारित होनी चाहिए, न कि केवल अति संवेदनशील विवेक पर।
कोर्ट ने कहा,
"हालांकि कानूनी प्रस्ताव में कोई संदेह नहीं है कि न्याय न केवल किया जाना चाहिए, बल्कि किया जाना भी चाहिए। और जहां किसी पक्ष को उचित संदेह है कि ऐसे पक्ष को किसी विशेष न्यायालय में न्याय नहीं मिल सकता है, वहां कार्यवाही को किसी अन्य न्यायालय में ट्रांसफर करने का आधार होना चाहिए। साथ ही, ऐसी आशंका तर्क पर आधारित होनी चाहिए और केवल अति संवेदनशील विवेक की नहीं होनी चाहिए।''
याचिका, जिसे कथित तौर पर सुनवाई के दौरान फैमिली जज द्वारा लगाए गए कुछ निशानों पर आधारित बताया गया, उसको जस्टिस नवीन चावला ने फैमिली कोर्ट के समक्ष कार्यवाही के अभियोजन में "याचिकाकर्ता के ढुलमुल रुख" पर विचार करते हुए खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि संबंधित न्यायाधीश की टिप्पणियों से याचिकाकर्ता के मन में यह राय बन गई कि उसे उक्त अदालत से न्याय नहीं मिल सकता। आगे यह तर्क दिया गया कि ऐसी आशंका तथ्यों में पर्याप्त रूप से स्थापित हो भी सकती है और नहीं भी, लेकिन एक बार आशंका व्यक्त होने के बाद अदालत को मामले को ट्रांसफर करना होगा।
इसके विपरीत, उत्तरदाताओं के वकील ने आग्रह किया कि याचिकाकर्ता फैमिली कोर्ट के समक्ष टाल-मटोल की रणनीति अपना रहा है और आशंका का कोई भी आधार गलत है।
अपने विश्लेषण में अदालत ने आर. बालकृष्ण पिल्लई बनाम केरल राज्य के फैसले पर ध्यान दिया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केवल इस आशंका का आरोप कि न्याय नहीं मिलेगा, पर्याप्त नहीं है। यह आशंका अदालत को उचित, वास्तविक और न्यायोचित लगनी चाहिए।
यह देखते हुए कि याचिकाएं याचिकाकर्ता द्वारा फैमिली कोर्ट के समक्ष कार्यवाही के निर्णय में देरी करने का एक और प्रयास है, जस्टिस चावला ने मामलों को किसी अन्य अदालत में ट्रांसफर करने का कोई कारण नहीं पाया और याचिकाएं खारिज कर दी।
याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट बासब सेनगुप्ता और नंदिनी सेन उपस्थित हुए और प्रतिवादियों की ओर से एडवोकेट गौरी गुप्ता उपस्थित हुईं
केस टाइटल: उपिंदर कौर मल्होत्रा बनाम कैप्टन तेगजीत सिंह मल्होत्रा और अन्य, टीआरपी (सी.) 136/2023 (और संबंधित मामले)
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