पीआईएल वास्तविक नहीं: कलकत्ता हाईकोर्ट ने बांग्लादेश के अवैध अप्रवासियों को भारतीय मतदाता सूची में शामिल करने का दावा करने वाली याचिका खारिज की
कलकत्ता हाईकोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित भारतीय मतदाता सूची में उत्तर 24 परगना के बागदाह में रहने वाले बांग्लादेश के कुछ कथित 'अवैध अप्रवासियों' को शामिल करने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी।
चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा:
“यह वास्तविक जनहित याचिका नहीं है, क्योंकि याचिकाकर्ता के पास अचल संपत्ति के संबंध में प्राइवेट उत्तरदाताओं के खिलाफ कुछ निजी शिकायतें हैं, जो आपराधिक मामले का विषय है और जो लंबित है। उपरोक्त के आलोक में हम आश्वस्त नहीं हैं कि वर्तमान याचिका जनहित याचिका है। अन्य प्रार्थना उन प्राइवेट उत्तरदाताओं को मतदाता सूची से हटाने की है, जिन्होंने आरोप लगाया कि वे बांग्लादेशी नागरिक हैं। हालांकि, इस प्रार्थना को इस स्तर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि मतदाता सूची तैयार होने के बाद [पंचायत] चुनाव पहले ही संपन्न हो चुके हैं। याचिकाकर्ता को उचित मंच पर जाने की स्वतंत्रता होगी।”
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि प्राइवेट उत्तरदाता कथित तौर पर 'अवैध आप्रवासी' थे, जो बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल के बगदाह में आकर बस गए थे और उन्होंने बांग्लादेशी मतदाता सूची में होने के बाद भी अनधिकृत रूप से भारतीय मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराया था।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उसने क्षेत्राधिकार वाले पुलिस स्टेशन, राज्य चुनाव आयोग, भारत के चुनाव आयोग, साथ ही गृह मंत्रालय (एमएचए) से संपर्क किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
तदनुसार, याचिकाकर्ता ने एसईसी, ईसीआई और एमएचए को मतदाता सूची पर फिर से गौर करने के निर्देश देने की मांग की, जिससे प्राइवेट उत्तरदाताओं को उनकी नागरिकता की स्थिति के कारण इससे बाहर किया जा सके।
राज्य के वकील ने तर्क दिया कि विवाद निजी प्रकृति का है। जनहित याचिका वास्तविक नहीं है, क्योंकि याचिकाकर्ता ने 2019 में एक भूमि विवाद पर प्राइवेट उत्तरदाताओं के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज की थी। वर्तमान रिट याचिका उसी की निरंतरता है।
राज्य चुनाव आयोग ने तर्क दिया कि विवादित मतदाता सूची 2022 में तैयार की गई। इसके अलावा, याचिकाकर्ता संबंधित अधिकारियों को आरोपी साबित करने में विफल रहा, जिसके कारण जनहित याचिका खारिज कर दी जानी चाहिए।
पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय की राय थी कि वर्तमान याचिका वास्तविक जनहित याचिका नहीं है। तदनुसार संबंधित पक्षों के पेश न होने के कारण इसे खारिज कर दिया गया।
कोरम: चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य
केस टाइटल: बीरेंद्र नाथ मंडल बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य