सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका, लखीमपुर हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा, यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य को एसआईटी जांच में आरोपी के रूप में शामिल करने की मांग

Update: 2021-12-23 06:35 GMT

बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव ने लखीमपुर हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा 'टेनी' और उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की संलिप्तता की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है।

एडवोकेट प्रदीप कुमार यादव द्वारा तैयार और संजीव मल्होत्रा ​​​​एओआर द्वारा दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी की जांच में टेनी और मौर्या को शामिल करने का निर्देश देने का मांग की है।

याचिकाकर्ता ने यह कहकर मामले में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को आरोपी के रूप में शामिल करने की मांग की है कि उन्होंने पीड़ितों को (घटना से कुछ दिन पहले) यह कहकर धमकी दी थी-

"आप भी किसान हैं। यहां आंदोलन क्यों नहीं फैला? ये 10-15 लोग हैं। अगर मैं कार से नीचे उतरा तो उन्हें बचने का कोई रास्ता नहीं मिलेगा।...इस प्रकार अगर कृषि कानून खराब थे तो आंदोलन पूरे देश में फैल जाना चाहिए था। यह क्यों नहीं फैला? मैं ऐसे लोगों को सुधर जाने के लिए कह रहा हूं। अन्यथा, हम आपको सही कर देंगे। केवल दो मिनट का समय लगेगा... "

इसके अलावा, भारतीय दंड संहिता की धारा 149 (गैर-कानूनी सभा का प्रत्येक सदस्य सामान्य उद्देश्य के अभियोजन में किए गए अपराध का दोषी है) का संदर्भ देते हुए याचिका में कहा गया है, मिश्रा को हिंसा में किसानों और पत्रकारों को मारने में शामिल पाया गया है, इसलिए में एसआईटी को मामले में मिश्रा को शामिल करना चाहिए।

याचिका में कहा गया है, "टेनी ने अपने बेटे को उसकी योजना पर अमल के लिए भेजा था जिसमें वह सफल हुआ, इसलिए, जिस अपराध के लिए उसका बेटा और अन्य आरोपी व्यक्ति न्यायिक हिरासत में हैं, उसे भी उस अपराध में पकड़ा जाना चाहिए।"

हाल ही में लखीमपुर खीरी हिंसा की घटना की जांच कर रहे उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल ने लखीमपुर स्थानीय अदालत के समक्ष कहा था कि घटना के दौरान मौजूद लोगों को मारने की साजिश रची गई थी।

इसके अलावा, एसआईटी ने केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा 'टेनी' के बेटे आशीष मिश्रा सहित आरोपियों के खिलाफ आरोपों को संशोधित करने के लिए अदालत के समक्ष प्रार्थना की है।

एसआईटी ने आवेदन में कहा गया है,

"अब तक की गई जांच और एकत्र की गई सामग्री से ऐसा प्रतीत होता है कि उक्त कृत्य आरोपी द्वारा किया गया एक लापरवाहीपूर्ण कार्य नहीं था, बल्कि यह जानबूझकर, पूर्व नियोजित योजना के अनुसार की गई हत्या है।"

कथित तौर पर, एसयूवी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा के काफिले का हिस्सा थी। इसके बाद, पुलिस ने आशीष मिश्रा (मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे) और कई अन्य लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत हिंसा के संबंध में एफआईआर दर्ज की थी।

घटना का एक कथित वीडियो भी सामने आया था, जिसमें प्रदर्शनकारियों के एक समूह को खेत के बगल में सड़क पर आगे बढ़ते हुए दिखाया गया था और फिर पीछे से एक ग्रे एसयूवी ने उन्हें कुचल दिया था।

उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले घोषणा की थी कि हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच करेंगे और साथ ही, घटना में मारे गए चार किसानों के परिवारों को 45 लाख मुआवजा दिया जाएगा।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने लखमीपुर खीरी हिंसा में जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया था ।

चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली एक पीठ तीन अक्टूबर की लखीमपुर खीरी हिंसा की निष्पक्ष जांच की मांग करने वाले दो वकीलों द्वारा भेजी गई एक पत्र याचिका के आधार पर दर्ज एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट को बताया कि लखीमपुर खीरी कांड के एक बड़े चश्मदीद के बयान अभी दर्ज नहीं किए गए हैं और इसलिए उसने आशीष द्वारा दायर जमानत याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का और समय मांगा है। मामले का मुख्य आरोपी मिश्रा है।

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जनहित याचिका में याचिकाकर्ता पूर्व बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव हैं, जिन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष असफल चुनौती दी थी ।

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