COVID-19 जागरूकता कॉलर-ट्यून से अमिताभ बच्चन की वॉयसओवर हटाने की मांगः दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर
दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष एक 'जनहित याचिका' दायर की गई है जिसमें COVID-19 कॉलर-ट्यून से बॉलीवुड मेगास्टार अमिताभ बच्चन के वॉयसओवर को हटाने के लिए भारत संघ को निर्देश देने की मांग की गई है। दलील में कहा गया है कि बच्चन का न तो "साफ-सुथरा इतिहास" है और न ही उन्होंने "सामाजिक कार्यों" द्वारा राष्ट्र की "सेवा" की है।
याचिका बच्चन के खिलाफ पूर्व के मामलों का हवाला देते हुये दावा करती है कि बच्चन के खिलाफ जो मामले दर्ज किए गए हैं या लंबित हैं, उनमें से बहुत सी विशेषताओं के कारण भी अभिनेता ऐसी "सेवा" के लिए "उपयुक्त नहीं है" जबकि "इसके लिए एक कीमत वसूलते हैं।"
उद्धृत मामलों में "एंकर कंपनी" के ई-सिगरेट का समर्थन करने के लिए उसके द्वारा एंटी टोबैको एक्ट के कथित उल्लंघन के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष नेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर टोबैको ईडरिकेशन द्वारा दायर रिट याचिका शामिल हैं। इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष खेती की जमीन आवंटन की घोषणा को चुनौती देते हुए बच्चन द्वारा दायर याचिका लंबित है।
याचिका में टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा प्रकाशित 2011 के एक लेख का भी हवाला दिया गया है जिसमें 1984 के सिख विरोधी दंगों में एक प्रमुख गवाह को यह कहते हुए उद्धृत किया गया है कि बच्चन के खिलाफ कथित रूप से दंगा भड़काने के लिए कोई प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई थी, हालांकि उसी के बारे में एक फुटेज था स्पष्ट रूप से दूरदर्शन पर "सभी" द्वारा देखा गया।
बच्चन के खिलाफ इस तरह के कुछ अन्य आरोपों को सूचीबद्ध करते हुए याचिकाकर्ता राकेश, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करता है, ने बच्चन की आवाज़ को COVID-19 कॉलर-ट्यून से हटाने की मांग की है। बच्चन के खिलाफ मामलों पर अपनी निर्भरता के अलावा राकेश ने यह भी दावा किया है कि कई अन्य COVID-19 योद्धा भी हैं जिन्होंने महामारी के दौरान विभिन्न रूपों में देश की सेवा की है और बच्चन जिन्हें उनके वॉयसओवर के लिए भुगतान किया जा रहा है, उनके लिए वही सबसे उपयुक्त विकल्प नहीं है।
अदालत ने अभी तक याचिका पर नोटिस जारी नहीं किया है और इसे 18 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
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