पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ब्रेन ट्यूमर सर्जरी बताकर आंखों के ऑपरेशन लिए पैरोल अवधि बढ़ाने की मांग करने वाले कैदी की याचिका खारिज की

Update: 2022-07-09 05:26 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में कैदी की रिट याचिका खारिज कर दी। जिसने याचिका में ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी के लिए पैरोल की अवधि बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन वास्तव में उसे आंखों की सर्जरी करवानी थी।

याचिकाकर्ता ने पैरोल अवधि इस आधार पर बढ़ाने की मांग की थी कि उसे ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी करवानी है, लेकिन जांच एजेंसी द्वारा दायर स्टेटस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से पता चलता है कि याचिकाकर्ता की आंखों की सर्जरी होनी है न कि ब्रेन ट्यूमर की।

जस्टिस विनोद एस. भारद्वाज ने अवलोकन किया,

"जाहिर है कि जांच एजेंसी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट याचिकाकर्ता की खराब स्वास्थ्य स्थिति को दर्शाती है। हालांकि, यह याचिकाकर्ता द्वारा पैरोल के लिए दिए जाने वाले गलत कारण को नज़रअंदाज़ करके उसे रियायत नहीं दी जा सकती।"

पीठ ने यह भी नोट किया कि रुपए की कमी के कारण उस्की आंखों की सर्जरी भी नहीं हो सकी और याचिकाकर्ता ने ऑपरेशन से संबंधित संसाधनों की व्यवस्था करने की अपनी क्षमता के बारे में पूरी तरह से जानने के बावजूद पैरोल की मांग की।

उपरोक्त अवलोकन से पता चलता है कि याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष अभ्यावेदन दिया कि दिनांक 25.06.2022 को उसकी ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी होनी है। जबकि रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया कि याचिकाकर्ता को आंखों की समस्या के लिए सर्जरी करानी थी, लेकिन धन की कमी के कारण उक्त सर्जरी भी नहीं की जा सकी।

पीठ ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता के अपनी सर्जरी के बारे में गलत बयान दिए जाने जैसे आचरण को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

पंजाब गुड कंडक्ट प्रिज़नर्स (अस्थायी रिहाई) एक्ट, 1962 सपठित भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत वर्तमान याचिका दायर की गई थी। इसमें याचिकाकर्ता ने अपने पैरोल की अवधि बढ़ाने के लिए प्रतिवादियों को निर्देश देने की मांग की थी।

केस टाइटल: अमरजीत सिंह बनाम पंजाब राज्य और अन्य

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