'राज्य में स्थिति दयनीय, रेमडेसिविर इंजेक्शन और दवाएं उपलब्ध नहीं': झारखंड हाईकोर्ट ने COVID-19 से निपटने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए

Update: 2021-04-21 08:10 GMT
राज्य में स्थिति दयनीय, रेमडेसिविर इंजेक्शन और दवाएं उपलब्ध नहीं: झारखंड हाईकोर्ट ने COVID-19 से निपटने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए

झारखंड हाईकोर्ट ने आरआईएमएस में सीटी स्कैन मशीन की अनुपलब्धता के मुद्दे पर ध्यान देते हुए झारखंड राज्य में COVID -19 मामलों में हाल ही में हुई वृद्धि को संभालने के राज्य सरकार के तरीके पर चिंता व्यक्त की।

मुख्य न्यायाधीश रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने इसे गंभीर मुद्दा मानते हुए चिंता व्यक्त की। जबकि ड्रग कंट्रोलर ने कहा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन और फेविपिराविर टैबलेट शीर्ष मेडिकल शॉप पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं, इसलिए लोग इन दवाइयों को प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं।

झारखंड हाईकोर्ट की यह टिप्पणी तब आई है जब यह देखा गया कि झारखंड राज्य स्वास्थ्य आपातकाल की ओर बढ़ रहा है और सीटी स्कैन मशीन की अनुपलब्धता गंभीर चिंता का विषय है।

ड्रग कंट्रोलर ने यू-टर्न लिया।

कोर्ट ने झारखंड राज्य के ड्रग कंट्रोलर द्वारा रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता के संबंध में लिए गए यू-टर्न पर आश्चर्य व्यक्त किया।

ड्रग कंट्रोलर ने महत्वपूर्ण रूप से शुरू में प्रस्तुत किया कि केंद्र सरकार द्वारा रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्धता पर नियंत्रण है और इसलिए आपूर्ति अपर्याप्त है।

आगे यह भी कहा कि अन्य दवाइयां जैसे फेविपिराविर टैबलेट के लिए संबंधित सीएनएफ को ऑर्डर दिया गया है। लेकिन सीएनएफ ने पर्याप्त आपूर्ति नहीं की। इससे इस दवा की कमी हो गई है।

कोर्ट को भारत संघ के लिए उपस्थित एएसजीआई ने अवगत कराया कि केंद्र सरकार द्वारा रेमडेसिविर इंजेक्शन की उलब्धता पर कोई नियंत्रण नहीं है और वास्तव में रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति के लिए झारखंड राज्य द्वारा कोई ऑर्डर नहीं दिया गया था। ड्रग कंट्रोलर ने अपना स्टैंड बदल लिया।

कोर्ट ने इस पृष्ठभूमि में कहा कि,

"ड्रग कंट्रोलर ने सबमिशन करके यू-टर्न ले लिया कि केंद्र सरकार द्वारा रेमेडीसविर इंजेक्शन के संबंध में ऐसा कोई नियंत्रण नहीं है बल्कि उसका सबमिशन यह है कि सीएनएफ को ऑर्डर दिया जा रहा है, लेकिन वे पर्याप्त आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। यही स्थिति फेविपिराविर टैबलेट के साथ भी है।"

कोर्ट ने एएसजीआई यह बताने के निर्देश दिया कि किस आधार पर बयान दिया गया कि केंद्र सरकार द्वारा रेमेडिसविर इंजेक्शन की उपलब्धता पर नियंत्रण है।

कोर्ट की अन्य महत्वपूर्ण टिप्पणियां

कोर्ट ने आदेश में कहा कि झारखंड राज्य में बेड और ऑक्सीजन समर्थित बेड की अनुपलब्धता के कारण स्थिति दयनीय है। न्यायालय ने यह भी कहा कि यहां तक कि मरीज घर में आइसोलेशन में रहने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि उन्हें आवश्यक दवाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं।

कोर्ट को यह भी बताया गया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन और फेविपिराविर टैबलेट की कालाबाजारी की जा रही है और डोक्सीसाइक्लिन, फ्लुगुर्ड, विटामिन-सी और जिंक की गोलियां आउट ऑफ स्टॉक हो गए हैं।

कोर्ट ने महत्वपूर्ण रूप से निम्नलिखित दो मुद्दे उठाए हैं,

1. किस आधार पर दवाइयों की आपूर्ति सिर्फ शीर्ष मेडिकल शॉप को की जा रही है और वे कौन सी शीर्ष दुकानें हैं और यदि राज्य के अनुसार कुछ शीर्ष मेडिकल शॉप में ऐसी दवाएं दी जा रही हैं, तो क्या इसकी सूची आम जनता तक पहुंचाई गई है जिससे लोग उन शीर्ष मेडिकल शॉप्स से दवाइयों को खरीदने में सक्षम हो सकें।

2. क्यों केवल शीर्ष मेडिकल शॉप को इन दवाइयों की आपूर्ति की जा रही है और सभी मेडिकल शॉप्स को पर्याप्त आपूर्ति क्यों नहीं की जा रही है ताकि लोगों को राज्य के हर कोने से उनके उपचार के लिए पर्याप्त दवा मिल सके।

कोर्ट के निर्देश

गौरतलब है कि झारखंड राज्य ने आवश्यक दवाइयों की पर्याप्त आपूर्ति के लिए ईमानदारी से प्रयास नहीं किया। इसलिए कोर्ट ने निम्नलिखित निर्देश दिए।

1. राज्य अधिकारियों को एक हलफनामा दाखिल करके यह बताना चाहिए कि COVID19 महामारी से निपटने के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की पर्याप्त आपूर्ति के लिए 17 अप्रैल, 2021 तक क्या कदम उठाए गए और इसके साथ ही यह भी बताना है कि फेविपिराविर टैबलेट की पर्याप्त आपूर्ति के लिए क्या कदम उठाए हैं।

2. ड्रग कंट्रोलर प्रासंगिक दस्तावेजों द्वारा समर्थित मेडिकल शॉप / अस्पतालों में रेमडेसिविर इंजेक्शन और फेविपिराविर टैबलेट की आपूर्ति का रिकॉर्ड अप-टू-डेट विवरण देगा।

3. क्या दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित करके सामान्य रूप से लोगों को रेमडेसिविर इंजेक्शन और फेविपिराविर टैबलेट की आपूर्ति करने वाले मेडिकल शॉप के नामों की अधिसूचना जारी किया गया था? यदि हां तो इसके विवरण प्रस्तुत करें और यदि नहीं तो इसकी वजह बताएं।

4. झारखंड राज्य के चिकित्सा शिक्षा और परिवार कल्याण विभाग के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव और झारखंड राज्य के ड्रग कंट्रोलर को झारखंड राज्य में रेमडेसिविर इंजेक्शन और फेविपिराविर टैबलेट की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी और इसके साथ ही अन्य दवाइयां जैसे डोक्सीसाइक्लिन, फ्लुगुर्ड, विटामिन-सी और जिंक की गोलियां की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी और ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति करनी होगी।

5. ऐसी दवाइयों की कमी के समय इन दवाइयों की कालाबाजारी रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं और ऐसी दवाओं की कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे?

6. यह तय करने के लिए कौन से पैरामीटर हैं कि कौन-से मेडिकल शॉप में उक्त दवाइयां उपलब्ध कराई जाएगी?

7. डिप्टी कमिश्नर को रांची और अन्य जिलों में सीटी-स्कैन और अन्य रोग संबंधी टेस्ट की कीमत पर निगरानी रखने के लिए निर्देशित किया जाता है क्योंकि कई निजी अस्पतालों में निर्धारित कीमत से अधिक चार्ज किया जा रहा है। इस पर रोक लगाना आवश्यक है।

8. इसके साथ ही डिप्टी कमिश्नर को शिकायत के अनुसार तत्काल कदम उठाकर समस्या से निपटने के लिए निर्देशित किया जाता है।

9. झारखंड राज्य के चिकित्सा शिक्षा और परिवार कल्याण विभाग के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को इस संबंध में डिप्टी कमिश्नर द्वारा उठाए गए कदमों की निगरानी करने के लिए निर्देशित किया गया है।

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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