उड़ीसा हाईकोर्ट ने पुरी के जिला अधिकारियों को तीन परिवारों को 'अछूत' के रूप में कथित रूप से बहिष्कृत करने की जांच करने का आदेश दिया
उड़ीसा हाईकोर्ट ने 'अस्पृश्यता' की अवैध प्रथा के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए मंगलवार को जिला समाज कल्याण अधिकारी (DSWO), पुरी को 'अछूत' माने जाने के बाद उनके गांव से तीन परिवारों को कथित रूप से बेदखल करने की जांच करने का आदेश दिया।'
चीफ जस्टिस डॉ. एस. मुरलीधर और जस्टिस मुरहरी श्री रमन की खंडपीठ ने आदेश लिखवाते हुए यह भी निर्देश दिया,
“जहां भी सुधारात्मक कार्रवाई करने की आवश्यकता है, कलेक्टर और एसपी यह सुनिश्चित करेंगे कि अगले आदेशों की प्रतीक्षा किए बिना ऐसा किया जाए। अगर जांच से पता चलता है कि वास्तव में पीड़ित परिवारों के खिलाफ अस्पृश्यता का अभ्यास किया गया तो कानून की मशीनरी को गति दी जानी चाहिए।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट को बताया कि अस्पृश्यता के खिलाफ कड़े कानून होने के बावजूद पीड़ित परिवारों को अछूत समझकर उनके गांव से बाहर निकाला जा रहा है। राज्य के लिए एडिशनल सरकारी वकील ने न्यायालय को DSWO, पुरी को जांच करने और विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने का भी सुझाव दिया।
न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा हलफनामा दायर किया गया, जिसमें कहा गया कि पुरी जिले में ब्रह्मगिरी तहसील के अंतर्गत रहने वाले तीन परिवारों का शोषण किया गया और अस्पृश्यता के परिणामस्वरूप चक्रवात आश्रयों में रहने के लिए मजबूर किया गया।
अदालत ने कहा,
“उक्त परिवारों का विवरण और अधिकारियों को किए गए अभ्यावेदन की प्रतियां संलग्न की गई। कहा जाता है कि ये अभ्यावेदन तीन साल से अधिक समय से लंबित हैं। उनके संकटों को जोड़ने के लिए पीड़ित परिवारों को COVID-19 के कारण चक्रवात आश्रय से भी बाहर निकाल दिया गया।”
तदनुसार, इसने DSWO को तुरंत परिवारों से मिलने, अधिकारियों से मिलने और अगली तारीख से पहले विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। साथ ही सुधारात्मक कार्रवाई के लिए सुझाव देने का भी आदेश दिया।
अदालत ने कलेक्टर के साथ-साथ पुलिस अधीक्षक, पुरी को निर्देश दिया कि वह अदालत के आदेश को पूरा करने के लिए DSWO को सभी सहयोग और सहायता दें।
केस टाइटल: सीसादेब सुबुधि बनाम ओडिशा राज्य व अन्य।
केस नंबर: डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 4600/2019