आदेश XXI रूल 11 सीपीसी | मध्यस्थता अवॉर्ड की निष्पादन कार्यवाही में निर्णित ऋणी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

Update: 2023-03-27 13:25 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने निष्पादन कार्यवाही में वाणिज्यिक न्यायालय, बेंगलुरु के एक आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव और आयुक्त की गिरफ्तारी का आदेश दिया गया था।

जस्टिस श्रीनिवास हरीश कुमार ने 15 फरवरी 2023 के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह "स्पष्ट रूप से अवैध" है।

मामले में प्रतिवादी तेजास्को टेकसॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड ने मध्यस्थता में पारित अवॉर्ड को निष्पादित करने की मांग की थी और उन्होंने नागरिक प्रक्रिया संहिता की धारा 60 के तहत याचिकाकर्ताओं के कार्यालय में पाए गए चल और अचल वस्तुओं की कुर्की की मांग की थी।

हालांकि, अदालत ने यह पाया कि अवॉर्ड ने अंतिम रूप प्राप्त कर लिया है और अवॉर्ड राशि के भुगतान में देरी से बचने के लिए आदेश XXI नियम 30 सीपीसी के तहत याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी का आदेश दिया।

बेंच ने रिकॉर्ड देखने के बाद पाया कि प्रतिवादी ने जजमेंट देनदारों, यानी याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी के लिए आवेदन दायर नहीं किया था। उन्होंने चल अचल संपत्ति की कुर्की के लिए आवेदन दिया था।

प्रतिवादी के वकील ने तर्क दिया कि निचली अदालत ने प्रतिवादी के मौखिक आवेदन पर विचार किया और इसलिए याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। आदेश XXI नियम 11 सीपीसी का संदर्भ दिया गया था।

जिस पर खंडपीठ ने कहा,

"भले ही उक्त प्रावधान मौखिक आवेदन पर देनदारों की गिरफ्तारी का निर्णय प्रदान करता है, संतुष्ट होने की शर्त यह है कि डिक्री पारित करने के समय, निर्णित देनदार को कोर्ट परिसर के भीतर मौजूद होना चाहिए, अन्यथा मौखिक आवेदन पर गिरफ्तारी के लिए विचार नहीं किया जा सकता है।”

कोर्ट ने कहा,

"यह मध्यस्थ का निर्णय था, जिसे अमल में लाया गया था, न कि अदालत की डिक्री और इसलिए आदेश XXI सीपीसी के नियम 11 को बिल्कुल भी लागू नहीं किया जा सकता है।"

कोर्ट ने आगे स्पष्ट किया कि "आदेश XXI नियम 30 CPC निर्णित  देनदारों को हिरासत में लेने का प्रावधान करता है, निर्णित देनदारों को गिरफ्तार करने के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित की गई है। आदेश XXI नियम 37 से 40 सीपीसी इससे निपटते हैं।”

याचिका को अनुमति देते कोर्ट ने कहा, "निर्णित देनदार सरकार के अधिकारी हैं, और गिरफ्तारी नोटिस जारी किए बिना उनके खिलाफ वारंट जारी नहीं किया जा सकता है। मामले की इस दृष्टि से आक्षेपित आदेश कमजोर है।"

केस नंबर: रिट पीटिशन नंबर 4525/2023

साइटेशन: लाइवलॉ (कर) 124/2023

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