नूंह-गुरुग्राम विध्वंस: हाईकोर्ट ने सुनवाई स्थगित की, हरियाणा सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया

Update: 2023-08-18 11:07 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने नूंह और गुरुग्राम में हुए डिमॉलिशन के खिलाफ स्वत: संज्ञान मामले में सुनवाई स्थगित कर दी है, ताकि हरियाणा सरकार इस मामले में अपना जवाब दाखिल कर सके।

चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस अरुण पल्ली की पीठ ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगने के एएजी दीपक सभरवाल के अनुरोध को स्वीकार कर लिया। पीठ ने इस मामले में किसी भी हस्तक्षेप आवेदन पर विचार करने से भी इनकार कर दिया है।

जस्टिस अरुण पल्ली और जगमोहन बंसल की पीठ ने 11 अगस्त को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के नियमों के खंड 5 में अध्याय 2 नियम 9 का हवाला देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी थी, जिसमें कहा गया ‌है कि स्वत: संज्ञान जनहित याचिका को तीन दिनों के भीतर रोस्टर के अनुसार उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाना चा‌हिए।

जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन की पीठ ने सात अगस्त को स्वत: संज्ञान मामला शुरू किया था और ‌डिमॉलिशन अभियान पर रोक लगा दी गई थी।

पीठ ने राज्य से सवाल किया था कि क्या वह कानून और व्यवस्था की आड़ में "एथिनिक क्लिन्जिंग" करने की कोशिश कर रहा है और पूछा था कि क्या केवल "विशेष समुदाय" से संबंधित इमारतों को निशाना बनाया गया था। हालांकि 11 अगस्त को सुनवाई से एक दिन पहले पीठ बदल दी गई।

एजी बीआर महाजन की सहायता कर रहे एएजी सभरवाल ने मौखिक रूप से अवैध विध्वंस के आरोपों का खंडन किया, और दावा किया कि सभी कार्रवाई प्रक्रिया और कानून के अनुपालन में की गई थी।

अधिकारियों ने कथित तौर पर कई 'अवैध' झोपड़ियों, अस्थायी दुकानों और कुछ कंक्रीट संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया है, जो कथित तौर पर इस महीने की शुरुआत में हुई सांप्रदायिक हिंसा में शामिल व्यक्तियों से संबंधित थीं।

स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करने वाली पीठ ने पहले कहा था कि 'टाइम्स ऑफ इंडिया' और 'द इंडियन एक्सप्रेस' में छपी खबरों से पता चलता है कि विध्वंस इस तथ्य के कारण हुआ है कि असामाजिक गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों ने अवैध निर्माण किया था।

अखबार की रिपोर्ट में खुद गृह मंत्री के हवाले से कहा गया है कि चूंकि सरकार सांप्रदायिक हिंसा की जांच कर रही है, इसलिए बुलडोजर इलाज का हिस्सा है।

गृह मंत्री के बयान का हवाला देते हुए, जस्टिस संधवालिया की अगुवाई वाली पीठ ने टिप्पणी की थी कि, "सत्ता भ्रष्ट करती है और पूर्ण सत्तार पूरी तरह से भ्रष्ट करती है।"

केस टाइटल: न्यायालय अपने स्वयं के प्रस्ताव से बनाम हरियाणा राज्य 

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