''परीक्षा के मोड पर छात्रों को कोई निहित अधिकार नहीं'':जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने लाॅ स्टूडेंट की ऑनलाइन परीक्षा की मांग खारिज की
याचिकाकर्ताओं की ऑन-लाइन मोड के माध्यम से परीक्षा आयोजित करवाने की मांग को खारिज करते हुए जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने सोमवार (08 फरवरी) को कहा कि''छात्रों की परीक्षा किस तरीके से संचालित की जाए,इस संबंध में छात्रों के लिए कोई निहित अधिकार नहीं हो सकता है।''
न्यायमूर्ति संजय धर की खंडपीठ छात्रों (द्वितीय वर्ष के कानून के छात्र) की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें यूजीसी व बीसीआई द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों/निर्णयों के अनुसार जल्द से जल्द चतुर्थ सेमेस्टर के मध्यस्थ कानून के छात्रों की ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करवाने के लिए कश्मीर विश्वविद्यालय को निर्देश देने की मांग की गई थी, ताकि छात्रों के कैरियर को बचाया जा सके।
तर्क दिए गए
याचिकाकर्ता कश्मीर विश्वविद्यालय द्वारा जारी 19 अक्टूबर, 2020 के नोटिस से परेशान थे, जिसके तहत उन्हें विश्वविद्यालय के फिजिकल तौर पर खुलने के बाद ऑफलाइन मोड के माध्यम से परीक्षा में बैठने के लिए कहा गया था।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, उनके लिए परीक्षा आयोजित करने का तरीका ऑनलाइन होना चाहिए क्योंकि इसी तरह का तरीका अन्य विश्वविद्यालयों ने भी अपनाया है, जबकि कश्मीर विश्वविद्यालय के अन्य संकायों की परीक्षा के लिए भी ऑनलाइन तरीका अपनाया गया है।
यह भी प्रस्तुत किया गया था कि कश्मीर विश्वविद्यालय और कश्मीर के अन्य संबद्ध कॉलेजों में नामांकित अधिकांश लॉ स्टूडेंट कश्मीर के दूर-दराज के क्षेत्रों से हैं और इस वैश्विक महामारी में उनके लिए यह संभव नहीं है कि वह अपनी जान जोखिम में ड़ालकर श्रीनगर आए और परीक्षा दें।
संक्षेप में, याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि प्रतिवादी-कश्मीर विश्वविद्यालय को निर्देश दिया जाए कि वह केवल ऑनलाइन मोड के माध्यम से एलएलबी पाठ्यक्रम के विभिन्न सेमेस्टर के लिए अपनी परीक्षा आयोजित करवाए।
न्यायालय का अवलोकन
यह कहते हुए कि कश्मीर विश्वविद्यालय की यह दलील सही है कि तत्काल याचिका दायर करने के बाद, कुछ ऐसे घटनाक्रम हुए हैं जिन्होंने पूरे परिदृश्य को बदल दिया है, कोर्ट ने कहा,
''इन घटनाक्रमों के मद्देनजर, परीक्षा के एक विशेष मोड के लिए आग्रह करने का विकल्प याचिकाकर्ताओं के लिए उपलब्ध नहीं हो सकता है।''
न्यायालय ने यह भी नोट किया कि जम्मू और कश्मीर सरकार ने 01 फरवरी 2021 से केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में कोरोना महामारी के नियंत्रण उपायों पर नवीनतम दिशानिर्देश/ निर्देश जारी किए हैं।
कोर्ट ने कहा कि,
''उक्त दिशानिर्देशों के मद्देनजर, जम्मू और कश्मीर के संघ शासित प्रदेश में सभी शैक्षणिक संस्थानों को फिर से खोल दिया गया है और छात्र फिजिकल रूप से अपने संबंधित शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई कर रहे हैं।''
महत्वपूर्ण रूप से, कोर्ट ने कहा,
''इस बदले हुए परिदृश्य के सामने, फिजिकल मोड के माध्यम से याचिकाकर्ताओं की परीक्षा आयोजित करना स्वीकार्य है, इसलिए वे ऑनलाइन मोड के माध्यम से अपनी परीक्षा के संचालन पर जोर नहीं दे सकते ... याचिकाकर्ता यह दावा नहीं कर सकते हैं कि उनकी परीक्षा ऑनलाइन मोड के माध्यम से ही आयोजित की जानी चाहिए।''
उपरोक्त कारणों के चलते कोर्ट को याचिकाकर्ताओं की तरफ से दी गई दलीलों में कोई औचित्य नहीं मिला, क्योंकि यह परीक्षा के ऑनलाइन मोड पर जोर देने से संबंधित थी।
अंत में, न्यायालय ने उल्लेख किया कि याचिकाकर्ताओं का बहुमूल्य समय नष्ट हो गया है और वे अपने सामान्य अध्ययन के पाठ्यक्रम में पिछड़ गए हैं और इसलिए न्यायालय ने निर्देश दिया,
''(कश्मीर विश्वविद्यालय) से उम्मीद की जाती है कि वह याचिकाकर्ता और अन्य छात्रों की पाठ्यक्रम पूरा करने में हुई देरी के बारे में जताई गई चिंता पर पूरी संवेदनशीलता और गंभीरता से विचार करेगा।''
इसप्रकार, याचिकाकर्ताओं द्वारा ऑन-लाइन मोड के माध्यम से अपनी परीक्षा आयोजित करवाने की प्रार्थना को निरस्त करते हुए, कश्मीर विश्वविद्यालय को निर्देश जारी किया गया है कि वह वर्तमान माह में ही मध्यस्थ और चतुर्थ सेमेस्टर लॉ के छात्रों की परीक्षा तुरंत आयोजित करवाए और जल्द से जल्द 5 वें सेमेस्टर का पाठ्यक्रम पूरा करवाए ताकि उक्त पाठ्यक्रम को पूरा करने में देरी न हो।
केस का शीर्षक -सैयद ऐनैन कादरी बनाम यूजीसी व अन्य [WP (C) 1903/2020 CM Nos. 5808/2020, 6460/2020, 6461/2020]
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