निदेशक की पूर्व अनुमति के बिना वकीलों को समन जारी नहीं किया जाएगा: ED ने जारी किया सर्कुलर

Update: 2025-06-21 04:10 GMT

एक मुवक्किल को उनकी कानूनी राय के संबंध में दो सीनियर एडवोकेट को समन जारी करने पर हुई तीखी प्रतिक्रिया के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सर्कुलर जारी किया, जिसमें अपने अधिकारियों को उनकी कानूनी राय के संबंध में वकीलों को समन जारी करने से प्रतिबंधित किया गया।

यदि कानून के तहत उपलब्ध अपवादों के अनुसार कोई समन जारी किया जाना है तो एजेंसी के निदेशक की पूर्व अनुमति से ही ऐसा किया जाएगा, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अधिसूचित किया है।

ED द्वारा अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर प्रकाशित एक पोस्ट में कहा गया,

"प्रवर्तन निदेशालय ने क्षेत्रीय संरचनाओं के मार्गदर्शन के लिए सर्कुलर जारी किया कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 132 का उल्लंघन करने वाले किसी भी अधिवक्ता को कोई समन जारी नहीं किया जाएगा। इसके अलावा यदि बीएसए, 2023 की धारा 132 के प्रावधान में उल्लिखित अपवादों के तहत कोई समन जारी करने की आवश्यकता है तो उसे केवल निदेशक, ED की पूर्व स्वीकृति से ही जारी किया जाएगा"

बता दें, बीएसए की धारा 132 वकील-ग्राहक विशेषाधिकार के सिद्धांत को प्रतिपादित करती है।

इसमें इस प्रकार लिखा है:

"किसी भी वकील को किसी भी समय जब तक कि उसके मुवक्किल की स्पष्ट सहमति न हो, अपने मुवक्किल द्वारा या उसकी ओर से वकील के रूप में अपनी सेवा के दौरान और उसके उद्देश्य के लिए उसे किए गए किसी संचार को प्रकट करने, या किसी दस्तावेज की विषय-वस्तु या शर्त को बताने, जिससे वह अपनी व्यावसायिक सेवा के दौरान और उसके उद्देश्य के लिए परिचित हो गया हो, या अपने मुवक्किल को ऐसी सेवा के दौरान और उसके उद्देश्य के लिए दी गई किसी सलाह को प्रकट करने की अनुमति नहीं दी जाएगी:

परंतु इस धारा में कुछ भी निम्नलिखित के प्रकटीकरण से सुरक्षा नहीं करेगा-

(क) किसी अवैध उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए किया गया ऐसा कोई संचार।

(ख) किसी अधिवक्ता द्वारा अपनी सेवा के दौरान देखा गया कोई तथ्य, जो यह दर्शाता हो कि उसकी सेवा के प्रारंभ होने के बाद से कोई अपराध या धोखाधड़ी की गई।

(2) यह महत्वहीन है कि उप-धारा (1) के परंतुक में निर्दिष्ट ऐसे वकील का ध्यान उसके मुवक्किल द्वारा या उसकी ओर से ऐसे तथ्य की ओर गया था या नहीं।

स्पष्टीकरण. - इस धारा में वर्णित दायित्व व्यावसायिक सेवा समाप्त हो जाने के बाद भी जारी रहता है।"

उल्लेखनीय है कि ED अधिकारियों ने हाल ही में दो सीनियर एडवोकेट- अरविंद पी दातार और प्रताप वेणुगोपाल को समन जारी किया- रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की पूर्व चेयरपर्सन डॉ. रश्मि सलूजा को जारी किए गए ESOP (कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व) पर मेसर्स केयर हेल्थ इंश्योरेंस को उनकी कानूनी सलाह के संबंध में।

इस कार्रवाई की देश भर के विभिन्न बार निकायों ने निंदा की, जिनमें से कुछ ने वकीलों की स्वायत्तता के लिए खतरे का हवाला देते हुए और वकील-ग्राहक विशेषाधिकार के सिद्धांत को रेखांकित करते हुए सुप्रीम कोर्ट से स्वतः संज्ञान लेने का आग्रह किया।

ED ने अंततः दोनों सीनियर एडवोकेट को जारी किए गए समन वापस ले लिए। अब इसके मुख्यालय ने औपचारिक सर्कुलर जारी कर अधिकारियों को कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले वकीलों को समन करने से रोक दिया।

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