प्रशासन चलाने के लिए कोई जिम्मेदारी या कर्तव्य नहीं;मोबाइल टावर को दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए परमादेश जारी नहीं कर सकतेः उत्तराखंड हाईकोर्ट

Update: 2021-01-16 13:00 GMT

Uttarakhand High Court

मोबाइल टावर को दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए  प्रतिवादियों को परामदेश जारी करने से इनकार करते हुए, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार (15 जनवरी) को कहा कि प्रशासन के काम को देखना न तो कोर्ट की जिम्मेदारी है,न ही कोर्ट का कर्तव्य।

मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चैहान और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ एक समैय शर्मा की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता इस तथ्य से दुखी था कि इंडस टावर्स लिमिटेड (प्रतिवादी संख्या 5) को आंगनवाड़ी परिसर, शिवलोक कॉलोनी, रामनगर, रायपुर, देहरादून में मोबाइल टॉवर लगाने की अनुमति दे दी गई है।

याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट के समक्ष बताया कि मोबाइल टॉवर न केवल आंगवाड़ी परिसर में आने वाले बच्चे को बल्कि कालोनी के आवासीय क्षेत्र में रहने वाले अन्य लोगों को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती है।

इस प्रकार, यह प्रार्थना की गई थी कि उत्तराखंड राज्य, जिला मजिस्ट्रेट, देहरादून, देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण और नगर निगम, देहरादून को मोबाइल टॉवर को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया जाए।

कोर्ट का अवलोकन

इस अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि क्या कोई कानून है, जो उस मोबाइल टॉवर को खड़ा होने से रोकता है,जिसे प्रतिवादियों ने लगाने की अनुमति दी है? इस प्रश्न के जवाब में वकील ने स्पष्ट रूप से माना कि कानून में ऐसी कोई रोक नहीं है।

इस पृष्ठभूमि में, कोर्ट ने कहा,

''प्रशासन को चलाना, न तो इस न्यायालय की कोई जिम्मेदारी है, न ही कर्तव्य। कहां एक मोबाइल टॉवर खड़ी की जानी चाहिए, यह एक ऐसा निर्णय है,जिसे प्रतिवादियों द्वारा स्वयं लेने की आवश्यकता है। इसलिए,मोबाइल टॉवर को दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए प्रतिवादियों को कोई ऐसा परमादेश जारी नहीं किया जा सकता है।''

हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह लिबर्टी दी है कि वह प्रतिवादियों के समक्ष अपना ज्ञापन दायर कर सकता है। वहीं प्रतिवादियों को निर्देश दिया गया है कि वह याचिकाकर्ता को उसका पक्ष रखने का मौका दें और टॉवर के निर्माण के संबंध में उसकी सभी शिकायतों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाए।

न्यायालय ने प्रतिवादियों को इस मामले में एक यथोचित आदेश पारित करने का भी निर्देश दिया है।

अदालत ने कहा कि, ''याचिकाकर्ता की तरफ से दायर ज्ञापन प्राप्त होने के बाद प्रतिवादियों द्वारा इस मामले में सारी कवायद को तीन सप्ताह के भीतर पूरा कर लिया जाए।''

उपरोक्त निर्देश के साथ, रिट याचिका का निस्तारण कर दिया गया।

केस का शीर्षक - समैय शर्मा बनाम उत्तराखंड राज्य व अन्य [Writ Petition (PIL) No. 14 Of 2021]

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