यदि व्यक्ति विदेश में रहता है तो अग्रिम जमानत देने पर कोई रोक नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 के तहत दर्ज एफआईआर में याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी से पहले जमानत देने के लिए सीआरपीसी की धारा 438 के तहत दायर याचिका पर विचार करते हुए कहा कि केवल इसलिए कि आरोपी विदेश में रहता है, अग्रिम जमानत से इनकार करने का कोई आधार नहीं है।
याचिकाकर्ता मृतक पति की सास है, जिसने सितंबर 2020 में याचिकाकर्ता द्वारा कथित तौर पर उससे आर्थिक मांग किए जाने के बाद आत्महत्या कर ली थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह फरवरी 2020 में कनाडा चली गई थी। इस प्रकार, उसका मामला यह है कि उसके खिलाफ वर्तमान एफआईआर नहीं दर्ज की गई।
याचिकाकर्ता का यह भी मामला है कि चूंकि वह एफआईआर दर्ज होने के समय भी कनाडा में रही है, इसलिए भूमिका के लिए कोई विशेष आरोप नहीं लगाया जा सकता।
आगे बढ़ते हुए याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि घटना के 15 दिनों के बाद सुसाइड नोट पेश किया गया, जो इसकी प्रामाणिकता पर संदेह करता है।
इसे जोड़ते हुए याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि लगभग दो साल पहले 2020 में एफआईआर दर्ज होने के बावजूद पुलिस अधिकारियों द्वारा इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गई।
हितेशकुमार वाडीलाल शाह और बनाम गुजरात राज्य में गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए कहा गया कि विदेश में रहने वाले व्यक्ति के लिए अग्रिम जमानत के लिए फाइल करने के लिए कोई रोक नहीं है। गिरफ्तारी की उचित आशंका ही इसे दाखिल करने की एकमात्र आवश्यकता है।
उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया और निर्देश दिया कि गिरफ्तारी की स्थिति में याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी अधिकारी की संतुष्टि के लिए अंतरिम जमानत पर सीआरपीसी की धारा 438 (2) के तहत शर्तों के अनुपालन के अधीन रिहा किया जाएगा।
हालांकि, अदालत ने आगाह किया कि यदि याचिकाकर्ता निर्धारित समय के भीतर जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं होता है और सहयोग नहीं करता है तो अंतरिम आदेश को रद्द माना जाएगा।
केस टाइटल: कुलविंदर कौर बनाम पंजाब राज्य
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