एनडीपीएस एक्ट- ‘केवल पत्नी की गर्भावस्था अंतरिम जमानत देने के लिए पर्याप्त कारण नहीं’: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Update: 2023-04-24 05:30 GMT

Punjab & Haryana High Court

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि अक्टूबर 2022 में सिटी खन्ना पुलिस स्टेशन, जिला लुधियाना में दर्ज नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (एनडीपीएस एक्ट) की धारा 22 के तहत आरोपी व्यक्ति को अंतरिम जमानत देने के लिए केवल पत्नी की गर्भावस्था पर्याप्त नहीं है।

अदालत अंतरिम जमानत देने के लिए सीआरपीसी की धारा 439 के साथ पाठित सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

जस्टिस जगजीत सिंह बेदी की पीठ ने कहा कि मात्र गर्भावस्था याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत देने के लिए पर्याप्त कारण नहीं है क्योंकि उक्त स्थिति एक चिकित्सा स्थिति नहीं है जिसके लिए महत्वपूर्ण अवधि के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है।

पुलिस को सूचना मिली थी कि याचिकाकर्ता जम्मू-कश्मीर निवासी इम्तियाज अहमद और इश्तियाक अहमद कश्मीर से फल व अन्य सामान लाद कर आजाद मंडी जाते। इसके बाद वे दिल्ली से बड़ी मात्रा में नशीली शीशियों और इंजेक्शनों को वापस लाते, जिन्हें वे लाभ में कश्मीर में बेचते थे।

सूचना के आधार पर, एक प्राथमिकी दर्ज की गई और बाद में, याचिकाकर्ता और उसके सह-आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने 20 बोतलें बरामद कीं, जिनमें से प्रत्येक में कोडीन फॉस्फेट सिरप युक्त 100 मिलीलीटर नशीला तरल था।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को वर्तमान मामले में झूठा फंसाया गया है और चूंकि उसकी पत्नी गर्भावस्था के एक उन्नत चरण में थी, उसे अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता परिवार का एकमात्र कमाने वाला है और उसकी पत्नी की देखभाल करने वाला कोई नहीं है।

दूसरी ओर राज्य के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता मुख्य आरोपियों में से एक है। याचिकाकर्ता और उसके सह-आरोपी के पास से मादक पदार्थ की व्यावसायिक मात्रा बरामद की गई है।

वकील ने यह भी बताया कि याचिकाकर्ता की पहली ज़मानत अर्जी जनवरी 2023 में अदालत द्वारा वापस ले लिए जाने के कारण खारिज कर दी गई थी।

उन्होंने आगे कहा कि अभियुक्त की पत्नी की मात्र गर्भावस्था उसके खिलाफ आरोपों की प्रकृति को देखते हुए उसे जमानत देने का हकदार नहीं है।

इसके अतिरिक्त, चूंकि याचिकाकर्ता दूसरे राज्य का निवासी था, इस बात की बहुत अधिक संभावना थी कि जमानत मिलने पर वह फरार हो जाएगा।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता निस्संदेह मुख्य अभियुक्तों में से एक है और जम्मू-कश्मीर का निवासी है।

कोर्ट ने कहा कि अंतरिम जमानत दिए जाने पर याचिकाकर्ता के न्याय से फरार होने की बहुत अधिक संभावना थी।

न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि इस संभावना पर विचार किए बिना भी, याचिकाकर्ता की पत्नी की मात्र गर्भावस्था अंतरिम जमानत देने का एक वैध कारण नहीं है, क्योंकि यह एक ऐसी चिकित्सा स्थिति नहीं है जिसके लिए लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने की आवश्यकता होती है।

इसके अलावा, अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की पिछली जमानत अर्जी 17.01.2023 को पहले ही वापस ले ली गई थी।

इसके साथ ही याचिका खारिज कर दी गई।

केस टाइटल: इम्तियाज अहमद बनाम पंजाब राज्य

याचिकाकर्ता के वकील: एस.पी.एस. खैरा

राज्य के वकील: किरत सिंह सिद्धू

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