2002 नरोदा गाम नरसंहार मामला - अहमदाबाद की विशेष अदालत ने पूर्व मंत्री माया कोडनानी, बाबू बजरंगी समेत सभी 67 आरोपियों को बरी किया
गुजरात के अहमदाबाद जिले की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को 2002 के गुजरात दंगों-नरोदा गाम नरसंहार मामले में पूर्व मंत्री माया कोडनानी, बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी और विश्व हिंदू परिषद के नेता जयदीप पटेल सहित सभी 67 अभियुक्तों को बरी कर दिया।
विशेष न्यायाधीश शुभदा कृष्णकांत बख्शी ने उन्हें आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी जमाव), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), धारा 120 (बी) (आपराधिक साजिश) और धारा 153 (दंगों के लिए उकसाना), के तहत आरोपों से बरी कर दिया।
नरौदा गाम में नरसंहार 2002 के नौ प्रमुख सांप्रदायिक दंगों में से एक था, जिसमें 27 फरवरी, 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के जलने के बाद हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान कथित तौर पर कुल 11 मुस्लिम मारे गए थे।
कोडनानी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में महिला और बाल विकास मंत्री के रूप में कार्य किया था। उन्हें पहले वर्ष 2012 में नरोदा पाटिया मामले में दोषी ठहराया गया था और उन्हें 28 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी, हालांकि बाद में वर्ष 2018 में गुजरात हाईकोर्ट उन्हें बरी कर दिया था।
जिस तात्कालिक मामले में उन्हें बरी किया गया है वह दंगा, हत्या और हत्या के प्रयास के अलावा आपराधिक साजिश रचने से संबंधित है। प्रारंभ में इस मामले में 86 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था। हालांकि, ट्रायल के दौरान, 18 के खिलाफ मामला समाप्त कर दिया गया और एक अभियुक्त को आरोपमुक्त कर दिया गया था। शेष 67 अभियुक्तों ने मुकदमे का सामना किया, जिन्हें आज बरी कर दिया गया।
मामले में मुकदमा वर्ष 2010 में शुरू हुआ और अगले 13 वर्षों तक, 6 अलग-अलग न्यायाधीशों ने इस मामले की सुनवाई की, जिनमें न्यायाधीश एसएच वोरा (अब गुजरात हाईकोर्ट के न्यायाधीश), ज्योत्सना याग्निक, केके भट्ट और पीबी देसाई शामिल हैं।