मोटर वाहन दुर्घटना - पॉलिसी धारक के परिवार के सदस्य को थर्ड पार्टी इंश्योरेंस क्लेम में मुआवज़ा नहीं मिल सकता : आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस वी गोपाल कृष्ण राव ने मोटर दुर्घटना दावा मामले में कहा कि उल्लंघन करने वाले वाहन के मालिक का बेटा थर्ड पार्टी नहीं है और उसे थर्ड पार्टी के बीमा क्लेम के तहत बीमा कंपनी द्वारा मुआवजा नहीं दिया जा सकता।
तथ्यात्मक मैट्रिक्स
दावेदार लॉरी के क्लीनर के रूप में कार्यरत है और लॉरी चालक द्वारा लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। याचिकाकर्ता को गंभीर चोटें आईं। याचिकाकर्ता ने मोटर वाहन अधिनियम के तहत दोषी वाहन के मालिक और बीमाकर्ता के खिलाफ मुआवजे और लागत के लिए दावा याचिका दायर की।
ट्रिब्यूनल ने दोषी वाहन के मालिक को आंशिक मुआवजे का भुगतान करने की अनुमति दी और बीमा कंपनी के खिलाफ दावा याचिका खारिज कर दी गई। फैसले से व्यथित होकर दावेदार ने वर्तमान अपील को प्राथमिकता दी।
याचिकाकर्ता ने अपील में अपनी दलीलें केवल कानूनी मुद्दे पर ही सीमित रखीं कि क्या दावेदार को मुआवजे के भुगतान से बीमा कंपनी को छूट देना कानूनी रूप से टिकाऊ है या नहीं?
न्यायालय का अवलोकन
ट्रिब्यूनल के समक्ष कार्यवाही से यह देखा गया कि याचिकाकर्ता लॉरी के मालिक का बेटा है। इसके अलावा, बीमा पॉलिसी से पता चलता है कि केवल थर्ड पार्टी का जोखिम कवर किया गया और मालिक के बेटे को 'थर्ड पार्टी' के दायरे में नहीं लाया जा सकता।
बीमा कंपनी ने न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम सदानंद मुखी (2009) मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया, "जहां दावेदार बीमा कंपनी के संबंध में थर्ड पार्टी नहीं है तो उक्त दावेदार को मुआवजा देने के लिए बीमा कंपनी का दायित्व उत्पन्न नहीं होता है।"
यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम ओम प्रकाश (2010) में सुप्रीम कोर्ट के अन्य फैसले में यह माना गया,
“तीनों मूल याचिकाओं में दावेदार या तो अधिनियम के तहत या पॉलिसी के नियमों और शर्तों के तहत थर्ड पार्टी नहीं हैं और नीचे दिए गए ट्रिब्यूनल के पास उनके द्वारा दायर दावा याचिकाओं पर विचार करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है और अपीलकर्ता बीमा कंपनी दावेदारों को मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि इसलिए चूंकि याचिकाकर्ता वाहन के मालिक का बेटा है, इसलिए उसे थर्ड पार्टी के रूप में नहीं माना जा सकता। इस प्रकार, बीमा कंपनी पर दायित्व नहीं डाला जा सकता। इसमें कहा गया कि दुर्घटना के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए अकेले दोषी वाहन का मालिक ही जिम्मेदार है।
अपील गुणहीन होने के कारण खारिज कर दी गई और ट्रिब्यूनल के आदेश की पुष्टि की गई।
केस टाइटल: बंदरला नवीन कुमार बनाम बालाजी एलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य।
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