मस्जिदों को किस कानून के तहत लाउडस्पीकर का उपयोग करने की अनुमति है?: कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य से पूछा
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार और पुलिस से पूछा कि कानून के किन प्रावधानों के तहत 16 मस्जिदों को लाउडस्पीकर और पब्लिक एड्रेस सिस्टम के उपयोग की अनुमति दी गई है और इस तरह के उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए ध्वनि प्रदूषण नियम के तहत क्या कार्रवाई की जा रही है।
चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी और जस्टिस सचिन शंकर मखदूम ने आदेश में कहा, "प्रतिवादी राज्य के अधिकारियों को यह बताना होगा कि कानून के किन प्रावधानों के तहत, लाउडस्पीकर और पब्लिक एड्रेस सिस्टम के उपयोग को प्रतिवादियों ने 10 से 26 मस्जिदों में उपयोग की अनुमति दी है और उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के अनुसार क्या कार्रवाई की जा रही है।"
याचिकाकर्ता राकेश पी और अन्य की ओर से पेश अधिवक्ता श्रीधर प्रभु ने कहा कि 2000 के नियमों के नियम 5 (3) के तहत लाउडस्पीकर और पब्लिक एड्रेस सिस्टम के उपयोग की अनुमति स्थायी रूप से नहीं दी जा सकती है।
नियम 5(3) के तहत लाउड स्पीकर/पब्लिक एड्रेस सिस्टम (और ध्वनि उत्पन्न करने वाले उपकरणों) के उपयोग को प्रतिबंधित किया गया है। यह राज्य सरकार को सीमित अवधि के लिए किसी भी सांस्कृतिक, धार्मिक या उत्सव के के लिए रात के 10.00 बजे से 12.00 बजे बीच के बीच लाउड स्पीकर और अन्य ध्वनि उपकरण के उपयोग की अनुमति देने के लिए अधिकृत करता है, हालांकि यह एक कैलेंडर वर्ष में पंद्रह दिनों से अधिक न हो।
इसके अलावा वकील ने कहा कि कर्नाटक वक्फ बोर्ड, जिसने सर्कुलर जारी किया था, जिसके आधार पर उत्तरदाताओं ने लाउडस्पीकर लगाए थे, अनुमति देने के लिए सक्षम प्राधिकारी नहीं है।
प्रतिवादियों (मस्जिदों) के वकील ने याचिका का विरोध किया और कहा कि पुलिस से उचित अनुमति प्राप्त कर ली गई है। लाउडस्पीकर में एक ऐसा उपकरण लगा है, जो ध्वनि को अनुमेय सीमा से आगे नहीं जाने देता है। अधिनियम के तहत प्रतिबंधित समय अवधि रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लाउडस्पीकर का भी उपयोग नहीं किया जा रहा है।
वाहनों और नाइट क्लबों से पैदा हो रहे ध्वनि प्रदूषण का स्वत: संज्ञान
अदालत ने दो पहिया और चार पहिया वाहनों में लगे संशोधित/प्रवर्धित साइलेंसर से पैदा हो रहे ध्वनि प्रदूषण का भी स्वत: संज्ञान लिया, जो मोटर वाहन अधिनियम के तहत निर्धारित मानक मानदंडों के अनुसार नहीं हैं।
पीठ ने मौखिक रूप से कहा, "यदि आप किसी अहम सड़क के पास रहते हैं तो आपको एहसास होगा कि इन वाहनों के कारण सड़क के पास रहना कितना मुश्किल है।"
अदालत ने राज्य सरकार और पुलिस को यह बताने का निर्देश दिया कि इस तरह के खतरे को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं और निर्देश दिया कि ऐसे वाहनों की पहचान करने के लिए एक अभियान चलाया जाना चाहिए और कार्रवाई की जानी चाहिए।
इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि, "राज्य प्राधिकरण ऐसे सभी नाइट क्लबों और संगठनों के संचालन पर भी विचार करें जो ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 का उल्लंघन कर रहे हैं। कार्रवाई की रिपोर्ट अगली तारीख को प्रस्तुत की जाए।"
केस शीर्षक: राकेश पी बनाम कर्नाटक राज्य
केस नंबर: रिट याचिका संख्या 4574/2021