[मोरबी] "यह एक निशुल्क सेवा है। यह वही है जो आप समाज को वापस दे सकते हैं": गुजरात हाईकोर्ट ने सू मोटो पीआईएल में एमिकस क्यूरी के रूप में दो युवा वकीलों को नियुक्त किया

Update: 2022-12-12 10:00 GMT

मोरबी ब्रिज हादसा

गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने 30 अक्टूबर को मोरबी ब्रिज हादसे से संबंधित स्वत: संज्ञान मामले में कोर्ट की सहायता के लिए आज दो 'युवा' वकीलों को एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया। मोरबी ब्रिज ढहने से 135 लोगों की जान चली गई थी।

कोर्ट ने एडवोकेट वरुण पटेल और एडवोकेट प्रिया पंचाल को एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया है।

चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री ने मौखिक टिप्पणी की,

"चूंकि यह एक स्वतः संज्ञान जनहित याचिका है, हम चाहते हैं कि ये युवा वकील (एडवोकेट वरुण पटेल और एडवोकेट प्रिया पंचाल) अदालत की सहायता करें। इन दोनों युवाओं को कुछ काम करने दें। यह हमारे लिए आसान होगा।"

इस पर, जब एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी ने इस प्रस्ताव के खिलाफ अपनी आपत्ति जताई, तो चीफ जस्टिस अरविंद कुमार ने कहा,

"हम पहली बार में नियुक्त करना चाहते थे, यह हम केवल इस उद्देश्य के लिए कर रहे हैं कि सूचना एकत्र की जाए और अदालत के समक्ष रखी जाए। हम चाहते हैं कि वे सीखें और इसलिए हमने लगभग एक ही उम्र के दो युवाओं को चुना है।"

मुख्य न्यायाधीश ने दोनों वकीलों में से एक से कहा,

"हां, वरुण। मुफ्त काम है। कोई पैसा नहीं मिलेगा। यह एक निशुल्क सेवा है। यह वही है जो आप समाज को वापस दे सकते हैं।"

हालांकि, अपने आदेश में, अदालत ने कहा कि पेशेवर शुल्क (नव नियुक्त एमिकस को भुगतान किया जाना) समय-समय पर तय किया जाएगा और गुजरात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा भुगतान किया जाएगा।

गौरतलब है कि आज स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मामले में एसआईटी द्वारा दायर रिपोर्ट का अवलोकन किया और उसके सुझावों को ध्यान में रखा और राज्य को इस तरह की अत्यावश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रस्तावित नीति को रिकॉर्ड पर रखने और निर्दिष्ट करने के लिए कहा। और कहा कि सार्वजनिक संरचनाएं जो जनता द्वारा नियमित रूप से उपयोग की जाती हैं और क्या उनका आवधिक ऑडिट किया जा रहा है।

सुनवाई के दौरान, कंपनी जो मोरबी ब्रिज के मरम्मत कार्य का प्रबंधन कर रही थी, अजंता अपने वकील के माध्यम से कोर्ट के सामने पेश हुई और इस मामले में अपना पक्ष रखने की मांग की। हालांकि, कोर्ट ने आवेदन की अनुमति नहीं दी, और कंपनी के वकील को आवश्यक विवरण (कंपनी का पता और अन्य विवरण) के साथ एक नया आवेदन दाखिल करने के लिए कहा।

अदालत ने मामले को 21 दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

कोर्ट के समक्ष राज्य के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने आज घटना के घायलों के इलाज की स्थिति और जानकारी दी।



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