(मेडिकल लापरवाही) कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिया 18 वर्षीय COVID 19 संदिग्ध का पोस्टमॉर्टम करने का आदेश

Update: 2020-07-15 09:06 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह COVID 19 संदिग्ध एक 18 वर्षीय लड़के के शरीर की शव परीक्षा या आॅटाप्सी करवाए। बताया गया है कि यह लड़का COVID19 से पीड़ित था और कथित तौर पर उसका सही तरीके से इलाज नहीं किया गया था।

न्यायालय ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि इस लड़के के पोस्टमॉर्टम और साथ ही उसके शव के अंतिम संस्कार के समय की जाने वाली सारी धार्मिक क्रियाओं व दाह-संस्कार की वीडियोग्राफी करवाई जाए।

कोर्ट ने यह निर्देश लड़के के माता-पिता की तरफ से दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। इस याचिका में आरोप लगाया कि दो क्लीनिकल संस्थानों ने उनके बेटे का इलाज करने से मना कर दिया था। इसके बाद उसे कलकत्ता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उसी रात उसकी मौत हो गई।

इस मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और राज्य की तरफ से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता के अनुसार घटना की जांच चल रही है।

याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट का रूख करते हुए मांग की कि उनको पोस्टमॉर्टम के दौरान और शमशान स्थल पर मौजूद रहने की अनुमति दी जाए।

न्यायमूर्ति देबंगसु बसाक की एकल पीठ ने एएजी द्वारा दी गई दलीलों के मद्देनजर,  COVID19 रोगियों के निस्तारण के लिए चिंहित शमशान में माता-पिता की उपस्थिति के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है। लेकिन सरकार को निर्देश दिया है कि वह पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करवाए और आईसीएमआर के दिशानिर्देशों के अनुसार याचिकाकर्ताओं को उनके बेटे का अंतिम संस्कार करने की अनुमति दें।

आदेश में कहा गया कि-

''राज्य प्राधिकारी इस पोस्टमॉर्टम का वीडियो रिकॉर्ड करवाएं। वहीं इस  पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट और उसकी वीडियोग्राफी संबंधित न्यायालय के निर्देशों के अधीन होगी। पोस्टमॉर्टम
 पूरा होने के बाद, राज्य प्राधिकारी याचिकाकर्ताओं को उनके बेटे के नश्वर अवशेषों को देखने की अनुमति देंगे। राज्य प्राधिकारी याचिकाकर्ताओं को वह सभी धार्मिक अनुष्ठान या धार्मिक क्रिया करने की अनुमति भी दे,जो ऐसे मामलों में आईसीएमआर के दिशानिर्देशों के तहत की जा सकती हैं। याचिकाकर्ताओं सहित इस तरह के अनुष्ठान या क्रिया के दौरान उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति को इस संबंध में जारी आईसीएमआर के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।''

अदालत ने याचिकाकर्ताओं को दाह संस्कार के दौरान मौजूद रहने की अनुमति देने से भी इनकार कर दिया और कहा कि-

"यह बड़े पैमाने पर जनता के हित को सुनिश्चित करता है इसलिए COVID19 पाॅजिटिव या COVID19 संदिग्ध किसी व्यक्ति के दाह संस्कार के समय व्यक्तियों की उपस्थिति कम से कम रखी जाती है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार यह आवश्यक नहीं है कि मृतक के परिवार के सदस्य स्वयं श्मशान में उपस्थित रहें।''

पीठ ने कहा कि-

''वर्तमान में महामारी की प्रकृति को देखते हुए, सावधानी बरतने के लिए कुछ गलत करना भी विवेकपूर्ण होगा, अगर किसी को गलत करने की आवश्यकता है ... इसलिए बड़ी संख्या में मनुष्यों की उपस्थिति को हतोत्साहित किया जा रहा है। एक COVID19 ​​या एक संदिग्ध COVID19 रोगी के मृत शरीर को छूना भी उचित नहीं है,इसलिए उसे भी हतोत्साहित किया गया है या मना किया गया है।''

पीठ ने निष्कर्ष निकाला कि-

''राज्य  पोस्टमॉर्टम के बाद याचिकाकर्ताओं को बेटे के नश्वर अवशेषों को देखने और राज्य द्वारा नामित किए जाने वाले स्थान पर अंतिम संस्कार करने की अनुमति देगा...

राज्य याचिकाकर्ताओं द्वारा मृतक को देखने की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करवाए। वहीं उपरोक्त COVID19 दिशानिर्देशों के अनुसार अंतिम संस्कार के लिए की जाने वाली सारी धार्मिक क्रियाओं व डेडबॉडी के दाह संस्कार की भी वीडियोग्राफी करवाई जाए। राज्य इस संबंध में अगली सुनवाई पर एक रिपोर्ट पेश करें।''

चिकित्सकीय लापरवाही के मुद्दे पर, अदालत ने राज्य से एक महीने की अवधि के भीतर जवाब मांगा है।

पीठ ने आदेश दिया है कि-

"यह स्पष्ट किया जा रहा है कि कोर्ट ने अभी इस मुद्दे पर फैसला नहीं किया कि मृतक की मृत्यु COVID19 के कारण हुई या नहीं। इसलिए चार सप्ताह के भीतर इस मामले में प्रतिवादी अपना हलफनामा दायर करें, यदि इस पर कोई जवाब दायर किया जाना है तो इसके एक सप्ताह बाद वह भी दायर कर दिया जाए।''

मामले का विवरण-

केस का शीर्षक- सुरबानी चटर्जी व अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य व अन्य

केस नंबर-डब्ल्यूपी नंबर 5930/2020

कोरम-जस्टिस देबंगसू बसक

प्रतिनिधित्व-वरिष्ठ अधिवक्ता बिकास रंजन भट्टाचार्य साथ में एडवोकेट जयंत नारायण चटर्जी, सौम्या दासगुप्ता, समीम अहमद, बिक्रम बनर्जी, सुदीप्ता दासगुप्ता, जमीरुद्दीन खान और सयन्ती सेनगुप्ता (याचिकाकर्ताओं के लिए), अतिरिक्त महाधिवक्ता अभ्रतोष मजूमदार साथ में एडवोकेट अमितेश बनर्जी और इप्सिता बनर्जी (राज्य के लिए)

आदेश की प्रति डाउनलोड करें 



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