COVID से मृत्यु की स्थिति में विवाहित बेटी भी अनुकंपा नियुक्ति की हकदारः आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की जस्टिस नीनाला जयसूर्या ने माना कि एक विवाहित बेटी भी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार है। उन्होंने कहा कि विवाहित बेटी की वैवाहिक स्थिति कल्याणकारी योजनाओं में बाधक नहीं हो सकती। अपनी अनुकंपा नियुक्ति की प्रार्थना खारिज किए जाने से व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने मौजूदा रिट याचिका दायर की थी। उसने प्रतिवादियों के आदेश को अवैध, मनमाना, अन्यायपूर्ण बताते हुए मांग की थी कि आदेश को रद्द किया जाए और उसे अनुकंपा के आधार पर किसी भी उपयुक्त पद पर नियुक्त करने के लिए परिणामी निर्देश जारी किए जाएं।
तथ्य
याचिकाकर्ता मृतक की इकलौती बेटी है, जिसकी मृत्यु पांच मई, 2021 को COVID-19 के कारण हो गई थी। वह लोक निर्माण विभाग कार्यशाला डिवीजन, गुंटूर में चौकीदार के रूप में कार्यरत था। याचिकाकर्ता की मां यानि मृतक की पत्नी अशिक्षित है। उसके अन्य भाई और बहन भी नहीं हैं, जिसके बाद उसने यह कहते हुए कि परिवार में कोई कमाने वाला सदस्य नहीं है और उसके पति के पास कोई लाभप्रद रोजगार नहीं है, अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी ।
संबंधित प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के बावजूद प्रतिवादी सरकारी विभाग ने उसकी प्रार्थना इस आधार पर खारिज की दी कि याचिकाकर्ता एक विवाहित बेटी है और वह अनुकंपा नियुक्ति की हकदार नहीं है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील एमआरएस श्रीनिवास ने कहा कि जीओएम नंबर 350 तारीख 30.07.1999 के अनुसार, जब मृतक सरकारी कर्मचारी की केवल एक विवाहित पुत्री ही हो, बड़ा या छोटा भाई या बहन न हो, और मृतक की पत्नी या पति अनुकंपा का लाभ उठाने के लिए तैयार नहीं हों, ऐसी स्थिति में विवाहित पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति देने पर विचार किया जा सकता है। बशर्ते वह मृतक सरकारी कर्मचारी पर निर्भर हो।
वकील ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता को अपनी मां की देखभाल करनी है और परिवार में याचिकाकर्ता के पति सहित कोई अन्य कमाने वाला सदस्य नहीं है।
सहायक सरकारी वकील ने तर्क दिया कि विवाह हो जाने के बाद एक बेटी अपने पिता/माता पर निर्भर नहीं होती है, भले ही वह नौकरी में न हो या उसके पति के पास रोजगार न हो। साथ ही यह कि एक विवाहित बेटी अपने पिता/माता पर तभी निर्भर होती यदि वह अपने पिता/माता के साथ रहती हो, जबकि उसका पति वर्षों से उसे छोड़ चुका हो या गायब हो गया हो या मर गया हो।
मुद्दा
क्या याचिकाकर्ता अनुकंपा नियुक्ति का हकदार है?
फैसला
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के मामले को केवल इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि वह एक विवाहित बेटी है और अपने पति के साथ रहती है, इसलिए वह अपने मृत पिता पर निर्भर नहीं है।
अदालत ने निम्नलिखित निर्णयों पर भरोसा किया,
पुलिस आयुक्त बनाम के पद्मजा, 2013 (4) एएलटी 501, जिसमें डिवीजन बेंच ने कहा था कि भले ही आवेदक एक अलग घर में रह रहा हो, यह अपने आप में अनुकंपा नियुक्ति के लाभ से वंचित करने का आधार नहीं है।
चौ दमयंती बनाम एपीएसआरटीसी, 2014, इसमें न्यायालय ने कहा कि,
"पिता के निधन के बाद, याचिकाकर्ता पर अपनी वृद्ध और विधवा मां की देखभाल की जिम्मेदारी है, क्योंकि वह अपने माता-पिता की इकलौती बेटी है और शेष जीवन के लिए उसकी मां की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। इस प्रकार, इस न्यायालय का मानना है कि याचिकाकर्ता अनुकंपा नियुक्ति का हकदार है।"
अदालत ने भुवनेश्वरी बनाम पुराणिक, 2020 एससीसी ऑनलाइन Kar 3397 में एक फैसले पर भी भरोसा किया, जिसमें अदालत ने देखा कि,
"यदि पुत्र की वैवाहिक स्थिति से उसकी अनुकंपा नियुक्ति के अधिकार पर कोई फर्क नहीं पड़ता तो बेटी की वैवाहिक स्थिति से भी कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए....।"
उपरोक्त निर्णयों के मद्देनजर, अदालत ने रिट याचिका को स्वीकार कर लिया और प्रतिवादियों को अनुकंपा नियुक्ति के लिए याचिकाकर्ता के मामले पर विचार करने का निर्देश दिया गया।
केस शीर्षक : श्रीमती पेडिसेटी अनीता श्री @ येनेपल्ली अनीता श्री बनाम आंध्र प्रदेश राज्य
केस संख्या: डब्ल्यू.पी नंबर 28931 ऑफ 2021
सिटेशन: 2022 लाइव लॉ (एपी) 4
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