इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोहराया, अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन खारिज़ करने का एकमात्र आधार बेटी की वैवाहिक स्थिति नहीं हो सकती

Update: 2020-02-19 11:13 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने दोहराया है कि उत्तर प्रदेश के 'द यूपी रिक्रूटमेंट ऑफ ‌डिपेंडेंट्स ऑफ गवर्नमेंट सर्वेंट्स डाइंग इन हार्नेस रूल्स, 1974' के संदर्भ में बेटी की वैवाहिक स्थिति अनुकंपा नियुक्ति का उसका आवेदन अस्वीकार करने का एक मात्र आधार नहीं हो सकता है।

न्यायमूर्ति मनीष माथुर ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ता की ओर से अपने मृतक पिता के स्थान पर नियुक्ति के लिए दिए गए आवेदन पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया।

उन्होंने अपने निर्देश में कहा है-

"इस तथ्य की रोशनी में कि याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी को केवल उसकी वैवाहिक स्थिति के आधार पर खारिज किया गया है, 9 अक्टूबर, 2019/10 अक्टूबर, 2018 के आदेश को रद्द करते हुए उत्प्रेषण की प्रकृति की एक रिट जारी की जाती है।

परम आदेश की प्रकृति की एक और रिट जारी की जाती है, जिसमें विपक्षी दल को याचिकाकर्ता की वैवाहिक स्थिति की अनदेखी करते हुए उसकी अनुकंपा नियुक्ति की उम्मीदवारी पर पुनर्विचार करने का आदेश जारी किया जाता है। "

हाईकोर्ट पहले ही दो अलग-अलग मौकों पर इन मसलों में कानून का निस्तारण कर चुका है। श्रीमती विमला श्रीवास्तव बनाम यूपी राज्य व अन्य, रिट सी नं 60881/2015 के मामले में एक डिवीजन बेंच ने कहा था कि 1974 के नियमों के नियम 2 (सी) में विवाहित बेटियों को 'परिवार' के दायरे से बाहर करना असंवैधानिक है। बेंच ने उक्त नियमों के नियम 2 (सी) (iii) से 'अविवाहित' शब्द को भी खत्म कर दिया था।

ऐसा ही दृष्ट‌िकोण बाद में नेहा श्रीवास्तव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य SA (Def) No. 863/2015 के एक मामले में उच्च न्यायालय की एक अन्य खंडपीठ ने अपनाया था।

न्यायमूर्ति माथुर ने अपने आदेश में कहा,

"पूर्वोक्त नियमों के तहत विवाहित बेटियों को 'परिवार' के दायरे से बाहर रखने को पहले ही असंवैधानिक ठहराया जा चुका है और 'अविवाहित' शब्द को इस अदालत की दो खंडपीठों ने पहले ही खत्म कर चुकी हैं, जिन्हें माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा है।इसलिए इस पर किसी और विवाद की आवश्यकता नहीं है, जिसके कारण वर्तमान रिट याचिका को शुरुआत में ही तय किया जा रहा है।"

कोर्ट ने संबंधित प्राधिकरण को चार सप्ताह की अवधि के भीतर मामले में यथोचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया।

मामले का विवरण:

केस टाइटल: माला देवी बनाम यूपी राज्य

केस नं: सेवा एकल नंबर 4157/2020

कोरम: मनीष माथुर

वकील: एडवोकेट विजय कुमार बाजपेयी और भावना (याचिकाकर्ता के लिए)

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