अमानवीय है मैनुअल स्‍कैवेंजिंग, अनुच्छेद 21 का उल्लंघन; कर्नाटक हाईकोर्ट ने मैनुअल स्कैवेंजर्स एक्‍ट 2013 के क्रियान्वयन के लिए दिशान‌िर्देश जारी किए

Update: 2020-12-10 06:41 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार को प्रोअबिशन ऑफ मैनुअल स्कैवेंजर्स एंड देयर रीअबिल‌टैशन एक्‍ट, 2013, के प्रावधानों का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश जारी किए। चीफ जस्टिस अभय ओका और जस्टिस एस विश्वजीत शेट्टी की खंडपीठ ने ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (AICTU) और हाई कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी की ओर से दायर याचिका की सुनवाई की।

उन्होंने कहा, "इस पर कोई विवाद नहीं हो सकता है कि हमारा संवैधानिक दर्शन किसी भी प्रकार के मैनुअल स्कैवेंजिंग की अनुमति नहीं देता है। नागरिक का गरिमा के साथ जीने का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के लिए गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का एक अभिन्न अंग है। संविधान की प्रस्तावना से पता चलता है कि संविधान किसी व्यक्ति की गरिमा की रक्षा करना चाहता है। इस बात पर कोई विवाद नहीं हो सकता है कि मैनुअल स्कैवेंजिंग सबसे अमानवीय है और यह अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।"

पीठ ने कहा कि "यदि किसी भी नागरिक को मैनुअल स्केवेंजिंग करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसे प्रदत्त मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन होगा। भारत के संविधान के अनुच्छेद 47 के तहत, जो कि नीति निर्देशक सिद्धांतों का हिस्सा है, राज्य अपने लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के प्रयास करने के लिए बाध्य है।"

अदालत ने पुराने कानून (इम्‍प्लॉयमेंट ऑफ मैनुअल स्कैवेंजर्स एंड कंस्ट्रक्‍शन ऑफ ड्राई लेट्र‌िन्स (प्रोअबिशन) एक्ट, 1993) और 2013 के कानून के बीच के मुख्य अंतरों की भी चर्चा की। कोर्ट ने कहा कि मैनुअल स्‍कैवेंजर्स एक्ट में 'मैनुअल स्‍कैवेंजर्स' की परिभाषा पुराने कानून की धारा 2 के क्लॉज (जे) के तहत परिभाषित 'मैनुअल स्‍कैवेंजर्स' की परिभाषा से बहुत व्यापक है।

कोर्ट ने कहा, "मैनुअल स्कैवेंजर्स एक्ट की धारा 5 की उप-धारा (1) के तहत, मैनुअल स्‍कैवेंजिंग पूर्ण प्रतिबंध‌ित है। पुराने कानून की धारा 3 के तहत, राज्य सरकार को मैनुअल स्‍कैवेंजिंग में किसी को लगाने या मैनुअल स्‍कैवेंजिंग के रोजगार पर लगाने पर प्रतिबंध लगाने के लिए अधिसूचना जारी करने की आवश्कता होती थी।"

कोर्ट ने कहा, "इस प्रकार, पुराने कानून के तहत, प्रतिबंध स्वचालित नहीं था। नए कानून के प्रावधान अधिक व्यापक हैं।" अदालतों द्वारा पारित पिछले आदेशों और अनुपालन रिपोर्टों के अध्ययन के बाद कोर्ट ने कहा, "हमने पाया है कि कर्नाटक राज्य में मैनुअल स्कैवेंजर्स एक्ट के प्रावधानों और नियमों का शायद ही क्रियान्वयन हुआ है। इसलिए, यह एक ऐसा मामला है, जहां निरंतर निगरानी आवश्यक होगी और निरंतर महादेश जारी करने की शक्ति का प्रयोग करना होगा।"

तदनुसार, पीठ ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए,

* राज्य सरकार मैनुअल स्कैवेंजर्स एक्ट के तहत दंडनीय अपराधों के तहत दर्ज एफआईआर की संख्या, आरोप पत्र दायर किए जा चुके मामलों की संख्या, लंबित मामलों की संख्या, उन मामलों की सख्या, जिसमें दोषी ठहराया जा चुका है, के रिकॉर्ड देगी। ऐसे मामलों के आंकड़े जिनमें रिहाई हो चुकी है, उन्हें भी रिकॉर्ड पर रखा जाएगा।

* राज्य सरकार तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 23 फरवरी 2018 को आयोजित बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुपालन का रिकॉर्ड रखेगी।

* राज्य सरकार आवश्यक सामग्री पेश करेगी कि जिला स्तरीय सर्वेक्षण समितियों, जिन पर मैनुअल स्कैवेंजर्स रूल्स के रूल 2 के सब-क्लॉज (सी) में विचार किया गया है, का विधिवत गठन हो चुका है। राज्य सरकार सभी जिलों से आंकड़े मांगेगी कि क्या जिला स्तरीय सर्वेक्षण समितियों ने मैनुअल स्‍कैवेंजर्स का सर्वेक्षण किया है या नहीं और समितियों ने संबंधित जिलों के मैनुअल स्कैवेंजरों की अंतिम सूची प्रकाशित की है या नहीं।

* राज्य सरकार राज्य स्तरीय सर्वेक्षण समितियों के गठन के साथ-साथ राज्य स्तरीय सर्वेक्षण समिति की बैठकों की संख्या के संबंध में आवश्यक विवरणों का रिकॉर्ड पेश करेगी, और राज्य स्तरीय समिति द्वारा किए गए कार्यों का लेखजोखा पेश करेगी।

* राज्य सरकार अस्वास्थ्यकर शौचालयों के सर्वेक्षण और उनके रूपांतर/ विध्वंस के बारे में व्यापक आंकड़े पेश करेगी।

* राज्य सरकार मैनुअल स्कैवेंजरों की जिलावार अंतिम सूचियों के अंतिम प्रकाशन और मैनुअल स्केवेंजरों की राज्य स्तरीय अंतिम सूची के प्रकाशन से संबंधित विवरण रिकॉर्ड पर रखेगी।

* राज्य सरकार सभी स्थानीय प्राधिकरणों को निर्देश देगी कि वे विभिन्न प्रावधानों के तहत दायित्वों और कर्तव्यों का विशेष रूप से उल्लेख करके मैनुअल स्केवेंजर्स एक्ट और नियमों के प्रावधानों को लागू करें। स्थानीय अधिकारियों द्वारा अनुपालन की निगरानी राज्य स्तरीय निगरानी समिति द्वारा नियमित रूप से की जाएगी।

* राज्य सरकार धारा 4 के उपखंडों (2) और (3) के तहत दायित्वों का पालन करने के लिए सभी स्थानीय अधिकारियों को निर्देश देगी और संबंधित कार्यक्षेत्र में आवश्यक सेनेटरी कम्यूनिटी लैट्र‌िन्स की संख्या का पता लगाने और बाद में ऐसे शौचालयों का निर्माण करने के लिए कहेगी। राज्य में निर्मित ऐसे सामुदायिक स्वच्छता शौचालयों का आंकड़ा रिकॉर्ड पर रखा जाएगा;

* राज्य सरकार तुरंत खुले में शौच की प्रथा के उन्मूलन के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान शुरू करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि सभी स्थानीय प्राधिकरण अपने अधिकार क्षेत्र में खुले में शौच की प्रथा को खत्म करने के अपने दायित्व का पालन करें। राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में अभियान चलाने के लिए गैर सरकारी संगठनों और कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की मदद लेगी;

* राज्य सरकार मैनुअल स्कैवेंजरों के पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों को रिकॉर्ड पर रखेगी...

* कर्नाटक उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति और सभी जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण इस न्यायालय द्वारा जारी किए गए निर्देशों का अनुपालन करने के लिए और मैनुअल स्कैवेंजर्स अधिनियम और नियमों के क्रियान्वयन के लिए सभी हितधारकों की बैठक बुलाने के हकदार होंगे।

अदालत ने राज्य सरकार को 30 जनवरी 2021 को या उससे पहले अनुपालन हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 2 फरवरी 2021 को होगी।

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