मद्रास उच्च न्यायालय ने निजी शिक्षण संस्थानों को वर्तमान शैक्षणिक वर्ष के लिए शेष 35% ट्यूशन फीस लेने की अनुमति दी

Update: 2020-11-20 06:51 GMT

इस शैक्षणिक वर्ष के दौरान फिजिकल क्लास के साथ स्कूलों को फिर से खोलने की अल्प संभावना को ध्यान में रखते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने बुधवार को निजी शिक्षण संस्थानों को अकादमिक वर्ष 2019-2020 के लिए शेष ट्यूशन फीस का 35% लेने की अनुमति दी।

जुलाई में, उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु राज्य के सभी गैर-सहायता प्राप्त निजी संस्थानों को शैक्षणिक वर्ष 2019-2020 की ट्यूशन फीस के आधार पर ट्यूशन फीस का 40% अग्रिम शुल्क के रूप में लेने की अनुमति दी थी। उस समय यह निर्देश दिया गया था कि जिस तिथि को संस्था को फिर से खोला जाता है और फिजिकल क्लास शुरू होती हैं, उस तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर 35 प्रतिशत शुल्क का शेष राशि एकत्र की जाएगी ।

हालांकि, न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश की एकल पीठ ने 18 नवंबर के अपने आदेश में इस तथ्य का न्यायिक ध्यान लिया कि COVID-19 के कारण स्कूलों को फिर से खोलना और फिजिकल कक्षाएं शुरू करना इस वर्ष के अंत तक नहीं हो सकता ।

इसे देखते हुए कहा,

"यदि इस वर्ष के अंत तक फिजिकल कक्षाएं शुरू नहीं की जा सकती हैं, तो यह जनवरी से मार्च 2021 तक इस अकादमिक वर्ष के दौरान केवल तीन महीने के नियमित कामकाज हो पाएगा और बाकी दो महीने परीक्षाओं के संचालन में बीत जाएंगे । वास्तव में, पब्लिक एक्ज़ाम भी शुरू की जा सकती हैं और अप्रैल 2021 से पहले पूरी हो सकती हैं । इसलिए, संस्थानों द्वारा शेष 34% शुल्क एकत्र करने के लिए किए गए अनुरोध पर विचार करना उचित होगा ।

अदालत ने आदेश दिया कि

· गैर-सहायता प्राप्त निजी संस्थानों को अकादमिक वर्ष 2019-2020 के लिए शेष 35% ट्यूशन फीस एकत्र करने की अनुमति है;

· यह फीस 28.02.2021 को या उससे पहले छात्रों द्वारा भुगतान की जाएगी।

· उचित परिपत्र जारी करके किश्तों में यह 35% शुल्क लेना संस्थानों के लिए खुला छोड़ दिया जाता है।

कई संस्थानों ने कोर्ट को बताया था कि कुछ मामलों में छात्रों ने शैक्षणिक वर्ष 2019-2020 के लिए देय 40 फीसद फीस और बकाया फीस का भी भुगतान नहीं किया था। इसमें आग्रह किया गया कि अदालत शेष शुल्क के भुगतान के लिए और निर्देश देने पर विचार करे, ताकि वे विभिन्न खर्चों को पूरा कर सकें।

इस संबंध में, अदालत ने आदेश दिया,

"कोई भी छात्र जिसने प्रारंभिक 40% फीस और/या अकादमिक वर्ष 2019-2020 के लिए देय शुल्क का बकाया नहीं दिया है, वह फीस के 35% के शेष के अलावा इन शुल्कों का भी भुगतान करेगा ।

पहले कोर्ट ने शिक्षण संस्थानों को छात्रों से पूरी ट्यूशन फीस की मांग करने के खिलाफ आगाह किया। इसमें कहा गया था कि इस आदेश का उल्लंघन करते पाए जाने वाले ऐसे संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। (जिला शिक्षा अधिकारी और मुख्य शिक्षा अधिकारी ऐसे संस्थानों की पहचान करेंगे)

अब यह मामला 1 मार्च 2021 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।

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