मद्रास हाईकोर्ट ने चाइल्ड कस्टडी मामलों की सुनवाई के लिए हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार पर निर्णय लेने के लिए फुल बेंच का गठन किया

Update: 2022-05-18 08:05 GMT

मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी ने चाइल्ड हिस्ट्री एंड गार्जियनशिप मैटर्स पर परिवार न्यायालय अधिनियम, 1984 के तहत निर्णय लेने के लिए ओरिजनल साइड पर हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र से संबंधित प्रश्न की सुनवाई के लिए हाईकोर्ट के पांच न्यायाधीशों की फुल बेंच का गठन किया है।

फुल बेंच का हिस्सा बनने वाले पांच जजों में जस्टिस पी.एन. प्रकाश, जस्टिस आर महादेवन, जस्टिस एम सुंदर, जस्टिस एन. आनंद वेंकटेश और जस्टिस एए नक्किरन हैं।

फुल बेंच का संदर्भ जस्टिस एए नक्कीरन, जस्टिस पीएन प्रकाश और जस्टिस एम सुंदर की पीठ द्वारा किया गया था, जिसे जस्टिस वी. पार्थिबन (अब सेवानिवृत्त) के बाद चीफ जस्टिस द्वारा गठित किया गया था।

पीठ ने कहा कि मामले को बड़ी पीठ का गठन करके तय किया जाना चाहिए। तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने मैरी थोमन बनाम डॉ केई थॉमस (1989) में निर्णय के रूप में एक बड़ी पीठ के संदर्भ पर विचार किया था, जो हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार को मंजूरी देता है, यह निर्देश सह-समान के साथ-साथ तीन जजों की समन्वय बेंच द्वारा दिया गया था।।

संदर्भ के माध्यम से जिन दो प्रश्नों के उत्तर मांगे गए हैं, वे नीचे दिए गए हैं:

(i) क्या बाल अभिरक्षा और संरक्षकता के मामलों पर अपने ओरिजनल साइड पर हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र को परिवार न्यायालय अधिनियम, 1984 की धारा 8 और 20 के साथ पठित धारा 7(1) के स्पष्टीकरण (जी) के प्रावधानों के मद्देनजर हटा दिया गया है?

(ii) क्या मैरी थॉमस बनाम डॉ के.ई. थॉमस (AIR 1990 मद्रास 100) इस न्यायालय की फुल बेंच का निर्णय अभी भी सही है?

फुल बेंच को 10.06.2022 को सुबह 10:30 बजे मामले की सुनवाई करनी है। संबंधित पक्षों की ओर से पेश होने वाले वकील के अलावा, बार के सदस्यों को भी इस सवाल पर दलीलें देकर अदालत की सहायता करने के लिए कहा गया है।

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