सीआरपीसी की धारा 195(1) एफआईआर दर्ज करने पर रोक नहीं लगाती, न ही लोक सेवक द्वारा लिखित शिकायत न्यायालय के समक्ष दायर करने के बारे में कहा गया है: एमपी हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने हाल ही में कहा कि सीआरपीसी की धारा 195 (1) में कहीं भी यह नहीं कहा गया कि लोक अधिकारी द्वारा लिखित शिकायत न्यायालय के समक्ष दायर की जानी है। कोर्ट ने कहा कि उक्त प्रावधान भी एफआईआर दर्ज करने पर रोक नहीं लगाता है।
जस्टिस एस.के. सिंह ने आवेदक/आरोपी के खिलाफ एफआईआर रद्द करने के आवेदन को खारिज करते हुए कहा,
सीआरपीसी की धारा 195(1) केवल यह कहती है कि कोई भी न्यायालय भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 172 से 188 के तहत संबंधित लोक सेवक या किसी अन्य लोक सेवक की लिखित शिकायत के अलावा किसी भी अपराध का संज्ञान नहीं लेगा। उक्त प्रावधान में ऐसा कुछ भी नहीं है जो एफआईआर दर्ज करने पर रोक लगाता हो। इसमें कहीं नहीं कहा गया कि उक्त लिखित शिकायत न्यायालय के समक्ष दायर की जानी चाहिए।
मामले के तथ्य यह हैं कि आवेदक ने कथित तौर पर कार्यकारी अधिकारियों द्वारा पारित आदेशों का उल्लंघन करते हुए राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित किया था। कार्यक्रम में लोगों के आने की इजाज़त थी। फिर इसमें लगभग 300 लोग शामिल हुए। इन लोगों ने COVID-19 महामारी के संबंध में जारी दिशा-निर्देशों का पालन किए बिना बैठक भाग लिया। उसी के परिणामस्वरूप, संबंधित प्राधिकारी ने संबंधित एसएचओ को शिकायत की, जिन्होंने तदनुसार आवेदक के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत दंडनीय अपराध के लिए मामला दर्ज किया। इस प्रकार, आवेदक ने एफआईआर रद्द करने के लिए न्यायालय के समक्ष आवेदन दिया।
अदालत के समक्ष आवेदक का एकमात्र तर्क यह है कि सीआरपीसी की धारा 195(1) के प्रावधान के अनुसार, आईपीसी की धारा 188 के तहत अपराध केवल लोक सेवक द्वारा अदालत में लिखित शिकायत के आधार पर दर्ज किया जा सकता है। जबकि उसके मामले में सक्षम अदालत में ऐसी कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है। इसलिए, यह दावा किया गया कि उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द किए जाने योग्य है।
प्रतिवादी राज्य ने तर्क दिया कि यह रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि एफएसटी, प्रभारी 01 सांवेर, इंदौर द्वारा की गई लिखित शिकायत के साथ संबंधित लोक सेवक से प्राप्त एक पत्र के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी। उन्होंने आगे कहा कि सीआरपीसी की धारा 195 (1) के तहत प्रावधान में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि उक्त शिकायत अदालत के समक्ष दायर की जानी चाहिए। अत: यह दावा किया गया कि आवेदन में कोई दम नहीं है और इसे खारिज किया जा सकता है।
रिकॉर्ड पर पक्षकारों और दस्तावेजों के प्रस्तुतीकरण की जांच करते हुए न्यायालय ने राज्य द्वारा प्रस्तुत तर्कों में योग्यता पाई कि उन्होंने धारा 195 (1) सीआरपीसी के तहत प्रावधानों का अनुपालन किया है।
कोर्ट ने कहा,
...मौजूदा मामले में लोक सेवक एफएसटी प्रभारी, 001 सांवेर द्वारा लिखित शिकायत की गई है और इसे उनके सीनियर अधिकारी यानी रिटर्निंग अधिकारी, विधान क्षेत्र नंबर 211, सांवेर द्वारा अग्रेषित किया गया है। इसलिए, यह नहीं कहा जा सकता है कि यहां सीआरपीसी की धारा 195(1) के प्रावधान लागू होंगे।
उपरोक्त टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने माना कि आवेदक का मामला योग्यता से रहित है।
तदनुसार, उसका आवेदन खारिज कर दिया गया।
केस टाइटल: रमेश मेंडोला बनाम मध्य प्रदेश राज्य
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