मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कानूनी पेशे के सदस्यों की पहचान और सुरक्षा के लिए आरएफआईडी कार्ड के लिए एसओपी जारी किए
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नई दिल्ली में रोहिणी ट्रायल कोर्ट में एक विचाराधीन कैदी पर हालिया हमले के आलोक में कानूनी पेशे के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की।
एसओपी ने न्यायालयों की सुरक्षा को एक अनुप्रास वाक्यांश में 3पी के रूप में वर्णित किया है। इसमें- परिधि, समीपस्थ और व्यक्तिगत शामिल हैं।
परिधि सुरक्षा पहले चरण से संबंधित है, जहां संभावित हमलावर अदालत परिसर में प्रवेश करने का प्रयास कर रहा है। समीपस्थ सुरक्षा दूसरा चरण है, जहां हमलावर ने पहले चरण का उल्लंघन किया है और अदालत परिसर तक उसकी पहुंच है। व्यक्तिगत सुरक्षा जज और कोर्ट रूम के अंदर के कर्मचारियों की सुरक्षा से संबंधित है, जो जरूरत पड़ने पर जज के लिए एक सशस्त्र पीएसओ प्रदान की जाती है। इस एसओपी में हम केवल पहले चरण यानी परिधि सुरक्षा से संबंधित हैं।
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक की अध्यक्षता में एसओपी तैयार करने के लिए विशेष समिति की बैठक में अदालत परिसर में सुरक्षा से जुड़े मामले की समीक्षा की गई।
जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, जस्टिस शील नागू, जस्टिस सुजॉय पॉल, जस्टिस रोहित आर्य, जस्टिस अतुल श्रीधरन, जस्टिस विवेक रूस, जस्टिस विजय कुमार शुक्ला और जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव बैठक में शामिल थे। बैठक में बार एसोसिएशन और महाधिवक्ता कार्यालय के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
बैठक में अधिवक्ताओं और कोर्ट स्टाफ के लिए आरएफआईडी कार्ड की व्यवस्था लागू करने को लेकर सहमति बनी। आरएफआईडी आधारित पहचान प्रणाली अधिवक्ताओं की पहचानऔर अदालत परिसर में प्रवेश करते समय उनकी साख को साबित करने के लिए मूल रूप से सत्यापित कर सकती है। स्टेट बार काउंसिल उक्त आरएफआईडी कार्ड जारी करेगी। इस संबंध में हाईकोर्ट ने विस्तृत एसओपी जारी किए।
अधिवक्ताओं, हाईकोर्ट, जिला और तहसील बार संघों, हाईकोर्ट और जिला न्यायालय के कर्मचारियों और अधीनस्थ न्यायालयों के लिए एक विस्तृत बिंदुवार एसओपी जारी किए गए।
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