कर्नाटक हाईकोर्ट ने नौकरी खोने के आधार पर अलग रह रही पत्नी को दिए गए अंतरिम भरण-पोषण आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

Update: 2023-11-10 14:08 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने पति द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी, जिसमें उसने अपनी नौकरी खोने के आधार पर अपनी अलग रह रही पत्नी को दिए गए अंतरिम भरण-पोषण को चुनौती दी थी।

जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा,

"वकील की यह दलील कि पति ने अपनी नौकरी खो दी और उसे गुजारा भत्ता देने का निर्देश नहीं दिया जा सकता, इसलिए खारिज कर दी गई, क्योंकि सक्षम व्यक्ति होने के नाते पति से काम करने और पत्नी की देखभाल करने की उम्मीद की जाती है। जिस आदेश पर आपत्ति जताई गई, उसमें कोई भी हस्तक्षेप अंजू गर्ग और अन्य बनाम दीपक कुमार गर्ग, 2022 एससीसी ऑनलाइन एससी 1314 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन होगा।

इस जोड़े ने 2020 में शादी कर ली, लेकिन रिश्ता ख़राब होने के कारण दोनों पक्षकार फैमिली कोर्ट में थे। पत्नी ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत आवेदन दायर किया, जिसमें पति से अंतरिम भरण-पोषण की मांग की गई और संपत्ति और देनदारियों का हलफनामा भी दायर किया, जैसा कि कानून में आवश्यक है।

इसके बाद संबंधित अदालत ने संपत्ति और देनदारियों के सत्यापन और विचार के बाद आदेश के संदर्भ में पत्नी को 10,000 रुपये का अंतरिम गुजारा भत्ता दिया।

पति ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि उसने अपनी नौकरी खो दी है, लेकिन फैमिली कोर्ट ने गलती से निष्कर्ष निकाला कि वह 50,000 रुपये कमाता है। इसलिए उन्होंने कहा कि आज तक उनके पास नौकरी नहीं है, इसलिए उन्हें भरण-पोषण का भुगतान करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।

पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा,

"मुझे पति के हाथों पत्नी को गुजारा भत्ता देने के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं लगता।"

अपीयरेंस: याचिकाकर्ता के लिए एडवोकेट नागरत्ना एस के पेश हुए।

केस टाइटल: एबीसी और एक्सवाईजेड

केस नंबर: रिट याचिका नंबर 20801/2022

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