लोकपाल ने यूनिवर्सिटी में जेंडर भेदभाव का आरोप लगाने वाली शिकायत खारिज की, कहा- मामला उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर

Update: 2025-10-23 15:58 GMT

भारत के लोकपाल ने चेन्नई स्थित सत्यभामा यूनिवर्सिटी के कुलपति के खिलाफ दायर शिकायत को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह मामला लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।

4 अक्टूबर, 2025 को दायर की गई शिकायत में आरोप लगाया गया कि कुलपति ने कक्षाओं में जेंडर भेदभाव लागू करके अपने अधिकार का दुरुपयोग किया और छात्र व छात्राओं को एक साथ बैठने से रोक दिया। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि यह जेंडर भेदभाव है, जिससे विरोध करने वाले छात्रों को मानसिक कष्ट हुआ। यह भी आरोप लगाया गया कि संस्थान ने छात्रों और उनके अभिभावकों को शिकायत वापस लेने के लिए धमकाया और परीक्षाओं से वंचित करने जैसे शैक्षणिक परिणामों की धमकी दी।

इस मामले पर जस्टिस एल. नारायण स्वामी, जस्टिस संजय यादव, जस्टिस ऋतु राज अवस्थी और लोकपाल के सदस्य श्री पंकज कुमार की पीठ ने विचार किया।

रजिस्ट्री ने शिकायत में कुछ प्रक्रियात्मक कमियों का उल्लेख किया था।

इन खामियों को देखते हुए लोकपाल ने कहा कि यदि शिकायतकर्ता को इन्हें सुधारने के लिए समय भी दिया जाए तो भी यह मामला उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर होगा। पीठ ने कहा कि चूंकि आरोप तमिलनाडु राज्य के अधीन कार्यरत लोक सेवकों से संबंधित थे, इसलिए वे लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की धारा 14 के दायरे में नहीं आते, जो केवल केंद्र सरकार के लोक सेवकों पर लागू होती है।

आदेश में कहा गया,

"चूंकि लोक सेवक राज्य के अधीन या राज्य के लिए कार्यरत हैं, इसलिए वे लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की धारा 14 के दायरे में नहीं आते।"

तदनुसार, लोकपाल ने शिकायत को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर मानते हुए उसका निपटारा कर दिया। साथ ही शिकायतकर्ता को उचित मंच के समक्ष उपचार प्राप्त करने की स्वतंत्रता प्रदान की।

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