विदेशी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता का उसकी ओर से आह्वान नहीं किया जा सकता, जब व्यक्ति स्वयं भारत में नहीं है: गुजरात हाईकोर्ट

Update: 2023-01-11 08:49 GMT

गुजरात हाईकोर्ट ने माना कि व्यक्ति (विदेशी नागरिक) भारतीय संविधान के तहत जीवन और स्वतंत्रता का आह्वान नहीं कर सकता, यदि वह स्वयं भारत में मौजूद नहीं है। इसमें कहा गया कि अगर कोई अमेरिकी नागरिक भारत में नहीं है तो वह संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 के तहत रियायत की मांग नहीं कर सकता।

जस्टिस बीरेन वैष्णव ने भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह अवलोकन किया, जिसे सजायाफ्ता यौन अपराधी के दोषी होने के कारण भारत में प्रवेश से वंचित कर दिया गया और दुबई भेज दिया गया। याचिकाकर्ता ने अपनी शादी का जश्न मनाने के लिए भारत लौटने की मांग की।

पीठ ने मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा,

"याचिकाकर्ता तथ्यों के आधार पर भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 का आह्वान नहीं कर सकता। याचिकाकर्ता दुबई में है। याचिका दायर की गई और याचिकाकर्ता के पिता द्वारा पुष्टि की गई। किसी विदेशी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता उसकी ओर से आह्वान नहीं किया जा सकता, जब व्यक्ति स्वयं भारत में नहीं है।"

राज्य के वकील ASG देबंग व्यास ने अकील वलीभाई पिपलोदवाला (लोखंडवाला) बनाम जिला पुलिस अधीक्षक, गोधरा में पंचमहल, SCA No.13566/2022 दिनांक 18.07.2022 के मामले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि दुबई में बैठा व्यक्ति अनुच्छेद 21 का आह्वान यह बताने के लिए नहीं कह सकता कि उसका जीवन और भारत में स्वतंत्रता खतरे में है।

न्यायालय केंद्र की उस पॉलिसी के समर्थन में भी आया, जिसमें बलात्कार के दोषी विदेशी या नैतिक रूप से भ्रष्ट पाए जाने वाले विदेशियों को भारत में प्रवेश करने से मना कर दिया गया।

इसमें कहा गया कि विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 3 केंद्र सरकार को या तो आम तौर पर या सभी विदेशियों या किसी विशेष विदेशी के संबंध में प्रावधान करने की शक्तियां देती है, जो यह बताती है कि विदेशी भारत में प्रवेश नहीं करेगा।

कोर्ट ने कहा,

"इसलिए जो स्पष्ट है कि वह निष्कासन के मामले में ऐसा करने के लिए केंद्र सरकार के विवेक पर है।"

केस टाइटल: धनराज राजेंद्र पटेल बनाम भारत संघ

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