एलएलबी कोर्स के मौजूदा ढांचे पर पुनर्विचार नहीं किया तो कानूनी पेशा पुराना हो जाएगा : दिल्ली हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया से कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) से कहा कि वह कानूनी क्षेत्र में ज्ञान की विविधता बढ़ाने के लिए कानून के कोर्स के साथ अन्य विषयों को जोड़ने पर विचार करे।
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने बीसीआई की ओर से पेश एडवोकेट प्रीत पाल सिंह से कहा,
“आप कानून के साथ जीव विज्ञान, कानून के साथ भौतिकी या रसायन विज्ञान जैसे संयोजन पाठ्यक्रम देने पर विचार कर सकते हैं। भारत में वे कोर्स नहीं हैं। आपके पास ऐसे लोग कैसे होंगे जो चुनौतीपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए अच्छी तरह से योग्य होंगे जिनका सामना अभी अदालतें कर रही हैं?”
अदालत ने बीसीआई से 3 साल और 5 साल के एलएलबी कोर्स की पेशकश की अपनी वर्तमान संरचना पर फिर से विचार करने और अधिक संयोजन पाठ्यक्रमों की पेशकश करने के लिए कहा। अदालत ने आगे कहा कि अन्य विषयों के साथ कानूनी पाठ्यक्रम होना महत्वपूर्ण है ताकि अधिक विविध पृष्ठभूमि वाले लोग कानूनी पेशेवर बन सकें। .
उन्होंने कहा,
“आप आईपी डिवीजन में बैठते हैं। आपको एक वकील की जरूरत है जो एक इंजीनियर हो। आपको एक वकील की जरूरत है जो भौतिक विज्ञानी हो। आपको एक वकील की जरूरत है जो एक अर्थशास्त्री हो। आप इन पेशेवरों को कैसे बनाएंगे, यदि आप वही स्टैंडर्ड या पांच साल का कोर्स या तीन साल का कोर्स जारी रखेंगे?
अदालत ने सिंह से कहा कि बीसीआई को उक्त पहलू पर पुनर्विचार करना चाहिए, अन्यथा कानूनी पेशा पुराना हो जाएगा।
अदालत ने कहा,
"आपको ऐसे लोगों की ज़रूरत है जो चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं...जो वकील बन रहे हैं। वकील बनने के लिए आपको फिजिक्स ऑनर्स, केमिस्ट्री ऑनर्स, बायोटेक ऑनर्स वाले लोगों की जरूरत है। तो वे सभी लोग जिनके पास एमएससी डिग्री या बीएससी डिग्री हो सकती है, आप यह नहीं कह सकते कि आप कहीं भी काम नहीं कर सकते और आप पूरे समय कानून की पढ़ाई करेंगे।”
अदालत एक लॉ ग्रेजुएट द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने 2014-17 से दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की, लेकिन ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने से पहले अक्टूबर 2016 से दिल्ली जल बोर्ड में वरिष्ठ सहायक के रूप में काम करना शुरू कर दिया।
याचिकाकर्ता ने 5 फरवरी, 2023 को होने वाली अखिल भारतीय बार परीक्षा, 2023 में शामिल होने की अनुमति मांगी थी। आवेदन पत्र भरने की अंतिम तिथि 16 जनवरी है।
लॉ ग्रेजुएट ने बार काउंसिल ऑफ दिल्ली में सभी आवेदन और दस्तावेज दाखिल किए थे। हालांकि याचिकाकर्ता को प्रोविज़नल इनरोमेंट नंबर जारी नहीं किया गया, जिसके कारण वह एआईबीई परीक्षा में बैठने के लिए अपना आवेदन पत्र प्राप्त करने में असमर्थ रहा।
याचिकाकर्ता के वकील ने ट्विंकल राहुल मंगाओंकर बनाम भारत संघ के मामले में गुजरात हाईकोर्ट के एक फैसले पर भरोसा किया, जिसमें रोजगार में लगे व्यक्तियों को बार परीक्षा देने की अनुमति दी गई थी। हाईकोर्ट ने उन्हें परीक्षा पास करने के बाद छह महीने की अवधि दी थी ताकि यह तय किया जा सके कि वे रोजगार जारी रखना चाहते हैं या लॉ प्रैक्टिस शुरू करना चाहते हैं।
वकील ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी हवाला दिया जिसमें ट्विंकल राहुल मंगाओंकर मामले में दायर अपील में विभिन्न निर्देश जारी किए गए थे।
वकील ने प्रस्तुत किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार, याचिकाकर्ता को एआईबीई परीक्षा में उपस्थित होने या यहां तक कि प्रोविज़नल रजिस्ट्रेशन प्राप्त करने से भी नहीं रोका जा सकता, क्योंकि सवाल यह था कि क्या उसे प्रैक्टिस शुरू करनी है या रोजगार में बने रहना है। इस पर फैसला उसे बार परीक्षा पास करने के बाद लेना है।
गुजरात हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि एक व्यक्ति जो रोजगार में है और जिसने एलएलबी परीक्षा पास की है, उसे केवल इस आधार पर अखिल भारतीय बार परीक्षा देने से नहीं रोका जा सकता है कि वह किसी रोज़गार में है।
कोर्ट ने कहा,
“कानूनी पेशा इस हद तक विकसित हो गया है कि वकीलों के लिए रोजगार के कई रास्ते हैं। इस प्रकार, इस तथ्य का भी न्यायिक संज्ञान लिया जा सकता है कि एआईबीई परीक्षा दो वर्ष से अधिक समय से आयोजित नहीं की गई है। यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि एलएलबी परीक्षा पास करने वाले व्यक्तियों को अनिवार्य रूप से प्रैक्टिस करनी चाहिए।"
जस्टिस सिंह ने कहा कि एलएलबी परीक्षा पास करने वाले व्यक्तियों को लचीलापन दिया जाना चाहिए जिसे गुजरात हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से मान्यता दी है।
इसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने अपनी एलएलबी परीक्षा पास कर ली है, हालांकि नौकरी में होने के बावजूद अस्थायी नामांकन प्राप्त करने से उसे रोका नहीं किया जा सकता।
अदालत ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया अधिनियम और नियमों के अनुसार भी, यदि कोई व्यक्ति नामांकन के बाद भी रोजगार लेता है तो ऐसे व्यक्ति के पास नामांकन को निलंबित रखने का विकल्प होता है।
अदालत ने कहा,
"बीसीआई को एलएलबी परीक्षा पास करने वाले वकीलों को बार परीक्षा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और उनके पास या तो प्रैक्टिस करने या अपने नामांकन को निलंबित रखने की छूट होनी चाहिए।"
तदनुसार, अदालत ने याचिकाकर्ता को परीक्षा में उपस्थित होने की अनुमति देते हुए उसे गुरुवार को बार काउंसिल ऑफ दिल्ली की नामांकन समिति के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत सभी दस्तावेजों की पुष्टि करने के बाद, उसे 13 जनवरी तक प्रोविज़नल इनरोलमेंट दिया जाएगा।
अदालत ने कहा,
"याचिकाकर्ता, सप्ताहांत में और 16 जनवरी तक आवेदन दाखिल करेगा और 5 फरवरी, 2023 को होने वाली परीक्षा में शामिल होने के लिए आवश्यक फीस जमा करेगा।"
केस टाइटल : डॉ. एके बेलवाल बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया व अन्य।