यदि बिल्‍डिंग निर्माण में प्लॉटिंग शामिल नहीं है तो मिट्टी निकालने और परिवहन के लिए लैंड डिवल्पमेंट परमिट आवश्यक नहीं है: केरल हाईकोर्ट

Update: 2021-09-23 10:48 GMT

केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि भवन निर्माण के ‌लिए जहां प्लॉट‌िंग के जरिए जमीन कर डिवल्पमेंट शामिल नहीं है, बल्‍कि केवल साधारण मिट्टी ‌निकालने और परिवहन का काम शामिल है, मालिक को मिनिरल ट्रांजिट पास लेने के लिए लैंड डिवल्पमेंट परमिट की आवश्यकता नहीं है।

जस्टिस एन नागरेश ने स्पष्ट किया, हालांकि ऐसे मामलों में, मिनरल ट्रांजिट पास के लिए आवेदन के साथ लोकल सेल्फ गवर्नमेंट ऑफिसर्स से प्राप्त वैध बिल्डिंग परमिट, ग्राम अधिकारी द्वारा जारी कब्जा प्रमाण पत्र और स्‍थानीय सेल्‍फ गवर्नमेंट ऑफिसर्स से प्राप्त अनुमोदित भवन योजना, जिनमें ऐसे निर्माण के लिए निकाली जाने वाली सामान्य मिट्टी की मात्रा की जानकारी हो, होना चाहिए।

कोर्ट ने यह आदेश एक व्यक्ति की याचिका पर जारी किया गया था, जो मकान बनाना चाहता था। उसे मकान की आधारशिला रखने के लिए जमीन के ऊपर की मिट्टी को हटाना आवश्यक था, ताकि जमीन समतल हो सके।

उसने दलील दी कि विचाराधीन संपत्ति सड़क के स्तर से 12 फीट से अधिक ऊपर स्थित है और ऑटोरिक्शा सहित कोई भी वाहन उक्त संपत्ति पर नहीं चढ़ सकता। इसलिए डिवल्पमेंट परमिट जारी करने की मांग करते हुए ग्राम पंचायत के सचिव को एक आवेदन दिया गया था, जो भूवैज्ञानिक के लिए मिट्टी निकालने और परिवहन की अनुमति जारी करने के लिए एक पूर्वशर्त है।

हालांकि पंचायत प्राधिकारियों ने याचिकाकर्ता को बताया कि सचिव या ग्राम पंचायत मिट्टी हटाने के लिए लैंड डिवल्पमेंट परमिट देने के लिए अधिकृत नहीं है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट वर्गीस एम इसो और विवेक वर्गीज पीजे ने तर्क दिया कि जब तक ग्राम पंचायत सचिव डिवल्पमेंट परमिट जारी नहीं करते, भूविज्ञानी आवश्यक ट्रांजिट पास जारी नहीं करेंगे। जिससे याचिकाकर्ता को जमीन समतल नहीं कर पाएगा। इसलिए, उसने भूवैज्ञानिक को 'अनापत्ति प्रमाण पत्र' (एनओसी) देने और जिस संपत्ति पर घर बनाने का प्रस्ताव है, उससे लाल मिट्टी को हटाने की अनुमति देने का निर्देश देने के लिए कोर्ट का रुख किया।

प्रतिवादियों ने स्थायी वकील सिबी चेनप्पाडी और सरकारी वकील जी. रंजीता के माध्यम से अपनी दलीलें दीं ।

यह प्रस्तुत किया गया कि केरल माइनर मिनिरल कंसेशन रूल्स, 2015 के नियम 14 (2) के अनुसार, यह अनिवार्य है कि संबंधित लोकल सेल्फ गवर्नमेंट द्वारा सामान्य मिट्टी को हटाने की अनुमति देने के लिए एक बिल्‍डिंग परमिट और एक डिवल्पमेंट परमिट जारी किया जाए।

इसके अलावा, यह तर्क दिया गया कि 20,000 वर्ग मीटर से कम प्लिंथ क्षेत्र वाले भवनों के निर्माण के लिए विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करना नियमों द्वारा निर्धारित नहीं है।

याचिका का विरोध करते हुए, ग्राम पंचायत सचिव ने कहा कि केरल पंचायत भवन नियम, 2019 भवन निर्माण के लिए साधारण मिट्टी को हटाने के उद्देश्य से डिवल्पमेंट परमिट जारी करने पर विचार नहीं करता है।

उन्होंने केरल पंचायत भवन नियम, 2019 के नियम 4, 5 और 10 पर भरोसा करते हुए तर्क दिया कि डिवल्पमेंट परमिट केवल उन मामलों में जारी किया जाना है जहां जमीन की प्लॉटिंग के माध्यम से जमीन का डिवल्पमेंट होता है।

आगे यह भी स्पष्ट किया गया कि जब बिल्डिंग परमिट जारी की जाती है तो ऐसे निर्माण के प्रयोजन के लिए आवश्यक लेंड डिवल्पमेंट की अनुमति बिल्डिंग परमिट में सम्मिलित मानी जाती है।

मुख्य अवलोकन

विचारणीय प्रश्न यह था कि क्या याचिकाकर्ता को भूवैज्ञानिक से ट्रांजिट पास प्राप्त करने के लिए लैंड डिवल्पमेंट परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता है और यदि हां, तो क्या स्थानीय स्वशासन संस्था याचिकाकर्ता को डिवल्पमेंट परमिट जारी करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है, यहां तक ​​कि उन मामलों में भी जहां भवन निर्माण में भूमि का डिवल्पमेंट शामिल नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि केरल पंचायत भवन नियमों के नियम 4 और 5 के मद्देनजर, डिवल्पमेंट परमिट की आवश्यकता तभी होती है जब भूमि को भूखंडों में विभाजित करके भूमि का डिवल्पमेंट किया जाता है।

हालांकि, याचिकाकर्ता के मामले में, वह अपनी जमीन को भूखंडों में विभाजित करने का इरादा नहीं रखता है। वह केवल आवासीय भवन की नींव रखने के लिए साधारण मिट्टी को हटाकर ऊंचाई पर स्थित भूमि को समतल करना चाहता है।

इसी तरह, यह देखा गया कि नियम 10 के तहत परमिट का मुद्दा केवल वहीं लागू होगा जहां भूमि डिवल्पमेंट में 1.5 मीटर से अधिक की गहराई तक मिट्टी की खुदाई शामिल है। याचिकाकर्ता का मामला यह नहीं था कि उसके निर्माण कार्य के लिए भूमि को समतल करने के लिए इस तरह की खुदाई की आवश्यकता है।

"इसलिए, चूंकि प्रस्तावित निर्माण में भूमि प्लॉटिंग शामिल नहीं है और चूंकि 1.5 मीटर की गहराई तक मिट्टी काटने की आवश्यकता नहीं है, याचिकाकर्ता नियम 4 के तहत डिवल्पमेंट परमिट प्राप्त करने के लिए बाध्य नहीं है और न ही उससे धारा 10 के तहत साइट प्लान का अनुमोदन प्राप्त करने की उम्मीद है।"

हालांकि, जहां प्रस्तावित भूमि असमान है और समतल करने की आवश्यकता है, उस कार्य में अनिवार्य रूप से साधारण मिट्टी को हटाना शामिल होगा। जब इस प्रकार निकाली गई साधारण मिट्टी की मात्रा अधिक होती है, तो भूमि के स्वामी को साधारण मिट्टी को किसी अन्य स्थान पर ले जाना पड़ सकता है।

नियम 26(4) के अनुसार, एक वैध मिनिरल ट्रांजिट पास के बिना साधारण मिट्टी का परिवहन करने वाला व्यक्ति खनिजों के अवैध परिवहन का अपराध करेगा। इसलिए, याचिकाकर्ता के लिए केरल माइनर मिनिरल कंसेशन रूल्स, 2015 के तहत मिन‌िरल ट्रांजिट पास प्राप्त करना आवश्यक हो जाता है।

हालांकि, कोर्ट ने कहा कि केपीबीआर, 2019 के लिए याचिकाकर्ता को प्रस्तावित निर्माण के लिए डिवल्पमेंट परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है, नियम 14 (2) के पहले प्रावधान के लिए याचिकाकर्ता को मिनिरल ट्रांजिट पास पाने के के लिए डिवल्पमेंट परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता है।

हालांकि, बेंच ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में, मिनरल ट्रांजिट पास के लिए आवेदन के साथ लोकर सेल्फ गवर्नमेंट ऑफिसर्स से प्राप्त एक वैध बिल्डिंग परमिट, ग्राम अधिकारी द्वारा जारी किया गया एक कब्जा प्रमाण पत्र और लोकल सेल्फ गवर्नमेंट से प्राप्त एक अनुमोदित भवन योजना हानी चाहिए।

याचिकाकर्ता को पात्र पाए जाने पर एनओसी प्रदान करने के लिए भूवैज्ञानिक को निर्देश के साथ याचिका का निपटारा किया गया।

केस शीर्षक: फिलिप थॉमस बनाम भूविज्ञानी और अन्य।

आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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