केरल हाईकोर्ट ने आरोपी और पीड़िता की शादी के बाद POCSO Act के तहत कार्यवाही रद्द की

Update: 2023-09-28 07:30 GMT

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में उस व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही रद्द कर दी, जिस पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 और 376 और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO Act) की धारा 8 सपठित धारा 7 के तहत अपराध करने का आरोप था। कोर्ट ने उक्त कार्यवाही इस आधार पर कि अब दोनों पक्षकारों विवाहित हैं।

जस्टिस गोपीनाथ पी. ने कहा,

"याचिकाकर्ता और पीड़िता अब पति-पत्नी के रूप में एक साथ रह रहे हैं। इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ अभियोजन जारी रखने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा।"

याचिकाकर्ता आरोपी पर आरोप था कि जब वह प्लस टू क्लास में पढ़ रही थी, तब उसने नाबालिग पीड़िता को उसके स्कूल से अपनी कार में उठाकर उसका यौन उत्पीड़न किया और उसे गलत तरीके से छुआ। आगे यह भी आरोप लगाया गया कि बाद में नाबालिग के वयस्क होने पर याचिकाकर्ता ने उसके साथ बलात्कार किया।

एडवोकेट रिज़वाना टी.एन. याचिकाकर्ता की ओर से प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता और पीड़िता ने जून 2023 में शादी कर ली है और अब पति-पत्नी के रूप में एक साथ रह रहे हैं। इस तथ्य पर लोक अभियोजक जी.सुधीर ने भी विवाद नहीं किया।

इस प्रकार न्यायालय की सुविचारित राय थी कि यह उपयुक्त मामला है, जिसमें सीआरपीसी की धारा 482 के तहत उसका अधिकार क्षेत्र है। याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्यवाही रद्द करने के लिए इसे लागू किया जा सकता है, क्योंकि अभियोजन जारी रखने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा।

इस प्रकार इसने कार्यवाही रद्द कर दी।

मौजूदा मामले में पीड़िता की ओर से वकील नहास एच. पेश हुए।

केस टाइटल: मुनीर ए. बनाम केरल राज्य एवं अन्य।

केस नंबर: सीआरएल.एमसी नंबर 4466/2022

ऑर्डर पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




Tags:    

Similar News