ऑनलाइन गैम्बलिंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर केरल हाईकोर्ट ने विराट कोहली, तमन्ना भाटिया,अजु वर्गीज को नोटिस जारी किया
केरल हाईकोर्ट ने गुरूवार को भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली, अभिनेत्री तमन्ना भाटिया और अजु वर्गीज और राज्य सरकार को ऑनलाइन गैम्बलिंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है।
मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और जस्टिस अनिल के नरेंद्रन की खंडपीठ एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर यह नोटिस जारी किया है,जो फिल्म निर्देशक पाउल वडक्कन द्वारा दायर की गई है।
''प्ले गेम्स 24*7 प्राइवेट लिमिटेड'' और ''मोबाइल प्रीमियर लीग (एमपीएल)''-नामक ऑनलाइन सट्टेबाजी पोर्टल चलाने वाली दो कंपनियों को भी याचिका में प्रतिवादी बनाया गया है। विराट कोहली, तमन्ना भाटिया और अजु वर्गीज ऑनलाइन रमी पोर्टल के ब्रांड एंबेसडर हैं।
पीठ ने केरल सरकार से इस याचिका पर दस दिनों के भीतर जवाब देने के लिए कहा है।
एडवोकेट जोमी के जोस के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि ऑनलाइन गैम्बलिंग अब राज्य में एक बढ़ता हुआ खतरा है और जिसका प्राथमिक लक्ष्य कम आय वर्ग के लोगों को लुभाना होगा,जिनको आसानी से पैसा बनाने का प्रलोभन दिया जाएगा।
याचिका में कहा गया है कि,''ये प्लेटफार्म मशहूर हस्तियों का सहारा ले रहे हैं ताकि अपने दर्शकों को झूठे वादे के साथ आकर्षित कर सके और लोगों को बेवकूफ बना सकें। प्राथमिक लक्ष्य कम आय वाले लोगों को लुभाना है,जिनको आसानी से पैसा कमाने के लिए लुभाया जा सकता है। लोग इन धोखाधड़ी करने वाले प्लेटफार्मों के शिकार होते हैं और अपने जीवनभर की कमाई को लुटा देते हैं। राज्य भर से इस तरह के घोटालों की खबरें आ रही हैं।''
याचिका में पिछले दिनों ही ऑनलाइन सट्टेबाजी में पैसा गंवाने के बाद केरल के एक युवा द्वारा आत्महत्या करने के मामले पर भी प्रकाश डाला गया है।
यह भी बताया गया है कि मद्रास और गुजरात के उच्च न्यायालयों ने ऑनलाइन गैम्बलिंग के खिलाफ दिशा-निर्देश पारित किए हैं और आंध्र प्रदेश, असम और ओडिशा राज्यों ने इसके खिलाफ कानून बनाए हैं।
ऑनलाइन गैम्बलिंग को विनियमित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है और अधिकांश राज्य नए कानून लाकर या पुराने गेमिंग विधानों को संशोधित करके इसकी ओर बढ़ रहे हैं। इस संबंध में, याचिकाकर्ता ने कहा कि केरल गेमिंग एक्ट 1960- जो गैम्बलिंग गतिविधियों को नियंत्रित करता है- ऑनलाइन गैम्बलिंग द्वारा उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए अपर्याप्त है क्योंकि इसमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से वर्चुअल गतिविधियों को कवर करने के प्रावधान नहीं हैं।
याचिका में कहा गया है कि,
''अधिनियम के तहत परिकल्पित ''गेम'' का विचार विशेष रूप से उन खेलों को शामिल करता है,जो ''गेमिंग के लिए उपकरणों'' का उपयोग करके ''काॅमन गेमिंग हाउस'' में इनके मालिक को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से खेले जाते हैं और गेमिंग के ऐसे साधनों को भौतिक रूप से रखा जाता है। इस प्रकार हमेशा भौतिक आधार का एक तत्व होता है या उसमें मौजूद होता है। इसलिए ऑनलाइन गैम्बलिंग गेम इस कानून के तहत नहीं आते हैं। बल्कि जब गैम्बलिंग के विधानों को ऑनलाइन और डिजिटल गैम्बलिंग के संदर्भ में पढ़ा जाता है, तो इनकी व्याख्या और प्रयोज्यता जटिल हो जाती है। ऑनलाइन गैम्बलिंग प्लेटफार्म अवैध गतिविधियों में लगे हुए हैं और वे कानूनी ढांचे में कमियों के कारण अनियंत्रित रहते हैं।''
याचिका में मांग की गई है कि एक घोषणा की जाए कि ऑनलाइन जुआ और ऑनलाइन सट्टेबाजी, विशेष रूप से ''ऑनलाइन रम्मी'' गैरकानूनी और अवैध है।
याचिका में राज्य सरकार को ऑनलाइन जुआ और सट्टेबाजी के सभी रूपों पर प्रतिबंध लगाने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।
नवंबर 2020 में, मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से ऑनलाइन सट्टेबाजी को रोकने के लिए एक कानून लाने के लिए कहा था। उसके बाद, तमिलनाडु सरकार हाल ही में एक अध्यादेश लाई है। गुजरात हाईकोर्ट ने भी इसी तरह का निर्देश पारित किए हैं।
इसके अलावा, दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वे ऑनलाइन गैम्बलिंग के खिलाफ दायर एक याचिका पर प्रतिनिधित्व/ज्ञापन के तौर पर विचार करें और याचिका में बताई गई शिकायतों पर निर्णय लें करें।