केरल हाईकोर्ट ने लव जिहाद का आरोप लगाने वाली पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा किया
केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को ईसाई महिला ज्योत्सना मैरी जोसेफ के पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) याचिका का निपटारा किया। उक्त महिला ने डीवाईएफआई मस्लिम रीजनल सेक्रेटरी शेजिन से शादी की है। पिता ने दावा किया कि उसकी बेटी को उसकी इच्छा के विरुद्ध ले जाया गया और मामले में 'लव जिहाद' के आरोप लगाते हुए उसे अवैध कस्टडी में रखा गया।
जस्टिस वी.जी. अरुण और जस्टिस सीएस सुधा ने उस महिला को सुनने के बाद याचिका को निपटाने का फैसला किया। महिला ने पुष्टि की कि उसे अवैध रूप से कस्टडी में नहीं लिया गया है। उसने स्वेच्छा से निर्णय लिया है। उसने यह भी कहा कि उसका अभी अपने परिवार से मिलने का इरादा नहीं है और कुछ समय बाद वह उनसे मुलाकात करेगी।
अदालत ने कहा कि उसका फैसला सुविचारित लग रहा है, खासकर जबकि वह 26 वर्षीय महिला है और विदेश में काम कर रही है। खंडपीठ ने कहा कि वह अपने निर्णय लेने के लिए परिपक्व है, जबकि दूल्हा और दुल्हन विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपना भविष्य तय करने के लिए स्वतंत्र हैंं।
पिता ने यह भी आरोप लगाया कि दंपति के देश छोड़ने की संभावना है। कोर्ट ने कहा कि यह उन्हें तय करना है कि वे कहां रहना चाहते हैं और वह ऐसे मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते।
कोडनचेरी की रहने वाली और सऊदी अरब में नर्स के तौर पर काम करने वाली ज्योत्सना शेजिन के साथ चल गई थी। हाल ही में उन्होंने शादी कर ली। यह कपल सात महीने से रिलेशनशिप में था। इस घटना ने राज्य भर में 'लव जिहाद' विवाद को जन्म दिया। महिला के पिता ने आरोप लगाया कि शेजिन द्वारा उसे अवैध रूप से कस्टडी में लिया जा रहा है, क्योंकि उन्होंने उसके जाने के बाद से उससे कोई बात नहीं की है।
हालांकि, नवविवाहितों ने लाइव जिहाद के सभी आरोपों का खंडन किया।
पिता ने यह भी आरोप लगाया गया कि केरल पुलिस पर से उनका विश्वास उठ गया है, क्योंकि वे उसकी बेटी को उसके पास वापस नहीं ला सके। उसने राज्य के बाहर की एजेंसी द्वारा मामले की जांच की मांग की।
दुल्हन के रिश्तेदारों द्वारा लव जिहाद का आरोप लगाने के बाद अंतरधार्मिक विवाह ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था। इस बीच, माकपा ने स्पष्ट किया कि अंतर्धार्मिक विवाहों में कुछ भी अस्वाभाविक नहीं है और 'लव जिहाद' का अभियान अन्य विपक्षी दलों द्वारा मनगढ़ंत है।
केस शीर्षक: जोसेफ बनाम केरल राज्य